आईआईटी दिल्ली समेत विभिन्न अन्य शैक्षणिक संस्थानों को जीएसटी नोटिस भेजे जाने का मामला अब और गरमा गया है. इस मामले पर हो रही चौतरफा आलोचना के बाद अब मोदी सरकार के दो मंत्रालय आमने-सामने आ गए हैं. शिक्षा मंत्रालय ने इस मामले को वित्त मंत्रालय के समक्ष उठाया है.
जीएसटी काउंसिल की बैठक में उठ सकता है मुद्दा
ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा मंत्रालय ने विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों को जीएसटी नोटिस मिलने के मामले को वित्त मंत्रालय के समक्ष उठाया है और अब वित्त मंत्रालय मामले को देख रहा है. ईटी ने मामले से जुड़े एक सरकारी अधिकारी के हवाले से यह जानकारी दी है. बताया जा रहा है कि इस मुद्दे को जीएसटी काउंसिल के समक्ष भी उठाया जा सकता है. जीएसटी काउंसिल की बैठक अगले महीने की शुरुआत में 9 सितंबर को होने वाली है.
आईआईटी दिल्ली से 120 करोड़ की डिमांड
संबंधित मामले में डाइरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीआई) ने आईआईटी दिल्ली समेत कई अकादमिक संस्थानों को टैक्स डिमांड का नोटिस भेजा है. आईआईटी दिल्ली को भेजे गए नोटिस में डीजीजीआई ने 120 करोड़ रुपये की डिमांड की है, जिसमें टैक्स के बकाए समेत ब्याज और जुर्माना शामिल है. यह मामला पहले ही विवादों में घिर चुका है, क्योंकि बकाए का नोटिस आईआईटी दिल्ली को मिले रिसर्च ग्रांट के लिए भेजा गया है.
इस फंडिंग के लिए भेजा गया है नोटिस
डीजीजीआई ने आईआईटी दिल्ली को साल 2017 से 2022 के बीच मिले रिसर्च ग्रांट को लेकर शो कॉज नोटिस भेजा है और 120 करोड़ रुपये की डिमांड की है. नोटिस में आईआईटी दिल्ली को कारण बताने के लिए 30 दिनों का समय दिया गया है और उससे पूछा गया है कि संबंधित ग्रांट पर पेनल्टी समेत टैक्स क्यों नहीं वसूल किया जाना चाहिए.
मोहनदास पई ने कहा था टैक्स टेररिज्म
इंफोसिस के पूर्व सीएफओ एवं उद्यमी मोहनदास पई समेत कई लोग आईआईटी को भेजे गए जीएसटी नोटिस पर सरकार की आलोचना कर चुके हैं. पई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इससे जुड़ी एक खबर शेयर करते हुए मामले को टैक्स टेररिज्म बता दिया था. उन्होंने मोदी सरकार से सवाल पूछा था कि क्या टैक्स टेररिज्म की कोई हद नहीं है? आईआईटी दिल्ली को भेजे गए इस नोटिस का मतलब शिक्षा पर टैक्स लगाना है.
इस तरह की फंडिंग पर बनती है देनदारी
वहीं ईटी की रिपोर्ट में एक अन्य सरकारी अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि शैक्षणिक संस्थानों को आम तौर पर दो तरह से फंड मिलते हैं. पहली फंडिंग, जो किसी खास विषय से नहीं जुड़ी होती है. वहीं कुछ फंडिंग कमर्शियल अप्लिकेशन वाले प्रोडक्ट या स्पेसिफिक रिसर्च के लिए होती हैं. कमर्शियल अप्लिकेशन का मामला होने पर जीएसटी की देनदारी बनती है. पुरानी सर्विस टैक्स व्यवस्था में भी ऐसे मामलों में टैक्स बनता था.
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