El Nino GDP Impact: भारत की जीडीपी पर एल नीनो का होगा बुरा असर, इतनी कम हो सकती है वृद्धि दर
El Nino 2023: भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का अच्छा-खासा योगदान है और यह सेक्टर मौसम पर बहुत ज्यादा निर्भर करता है. ऐसे में एल नीनो से ग्रोथ रेट पर असर पड़ने की आशंका है...
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अभी लगभग पूरा देश गर्मियों से परेशान है और मानसून की फुहारों का इंतजार कर रहा है. मानसून इस साल समय से देर हो चुका है. दरअसल इस देरी की वजह एल नीनो फैक्टर है. इससे ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि इस एल नीनो का असर सिर्फ मौसम तक ही नहीं सीमित रहने वाला है, बल्कि इससे अर्थव्यवस्था को भी चोट पहुंचती है. इस बार तो भारत को लेकर कुछ ज्यादा की चिंताजनक स्थिति उभर रही है.
एशिया में भारत पर सबसे ज्यादा असर
नोमुरा का मानना है कि एल नीनो 2023 से एशिया में जिस अर्थव्यवस्था पर सबसे बुरा असर हो सकता है, वह भारत है. इसके चलते न सिर्फ अर्थव्यवस्थाके पहिए स्लो हो सकते हैं, बल्कि साथ-साथ महंगाई की मार बढ़ सकती है. नोमुरा को आशंका है कि एल नीनो के चलते चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर में 0.4 फीसदी की गिरावट आ सकती है, जबकि महंगाई का दबाव 0.3 फीसदी बढ़ सकता है.
इतनी कम रह सकती है वृद्धि दर
नोमुरा को आशंका है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत की आर्थिक वृद्धि दर कम होकर 6 फीसदी से भी नीचे आ सकती है, जो पिछले वित्त वर्ष के दौरान 7 फीसदी से ऊपर रही थी. चालू वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ रेट 5.9 फीसदी रहने का अनुमान है. वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की अर्थव्यवस्था ने 7.2 फीसदी की दर से वृद्धि की थी.
एल नीनो से तय होगी महंगाई
राहत की बात बस इतनी है कि महंगाई के मोर्चे पर बहुत ज्यादा परेशानी नहीं होने वाली है. नोमुरा के अर्थशास्त्रियों ऑरोदीप नंदी और सोनल वर्मा का मानना है कि महंगाई का असर बहुत ज्यादा नहीं रह सकता है, क्योंकि भारत खाने-पीने की चीजों के मामले में आयात से ज्यादा निर्यात करता है. नोमुरा के अनुसार, गंभीर एल नीनो की स्थिति में महंगाई में 0.3 फीसदी की तेजी आ सकती है और अगर एल नीनो का असर हल्का हुआ तो यह बस 0.1 फीसदी पर रह सकती है. चालू वित्त वर्ष के दौरान महंगाई के 5 फीसदी से नीचे रहने का अनुमान है.
इस तरह से हो सकता है असर
नोमुरा का कहना है कि एल नीनो का असर हल्का रहने पर भी भारत की आर्थिक वृद्धि दर में 0.2 फीसदी की गिरावट आ सकती है. नोमुरा की यह आशंका गलत भी नहीं है, क्योंकि भारत में कृषि का अभी भी जीडीपी में बड़ा योगदान है और यह सेक्टर पूरी तरह से मौसम पर निर्भर है. मानसून की देरी से खरीफ फसलों की बुवाई लेट हो चुकी है और एल नीनो का ज्यादा असर अगले रबी सीजन में दिखने की आशंका है.
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