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Electoral Bonds: सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड की 24वीं किस्त को दी मंजूरी, इस तारीख से खरीद पाएंगे बॉन्ड

Electoral Bonds: अगर आप राजनीतिक पार्टी को चंदा देना चाहते हैं तो चुनावी बॉन्ड की 24वीं किस्त में पैसा लगाने का विकल्प आ गया है. इसमें व्यक्ति, कॉरपोरेट और संस्थाएं बॉन्ड खरीद सकते हैं.

Electoral Bond: देशभर में राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने के लिए इलेक्टोरल या चुनावी बॉन्ड (Electoral Bonds) जारी किया जाता है. अगर आप भी इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा देना पसंद करते हैं तो आपके लिए बड़ी खबर है. सरकार ने चुनावी या इलेक्टोरल बॉन्ड की 24वीं किस्त जारी करने की अनुमति दे दी है. इन बॉन्ड को 5 दिसंबर 2022 से खरीदा जा सकता है. ध्यान देने वाली बात ये है कि इसी दिन गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Election 2022) का दूसरा चरण होना है.

जानें कब तक खरीद सकते हैं चुनावी बॉन्ड
इस मामले पर जानकारी देते हुए वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) मे बताया है कि इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bonds) की 24वीं किस्त की खरीदारी 5 दिसंबर 2022 से शुरू हो जाएगी. वहीं ग्राहक इसे 12 दिसंबर 2022 तक स्टेट बैंक की ब्रांच से खरीद पाएंगे. इससे पहले हाल ही इलेक्टोरल बॉन्ड की 23वीं किस्त 9 से 15 नवंबर 2022 को शुरू हुई थी. ऐसे में अगर आप 24वीं किस्त में पैसे निवेश करना चाहते हैं तो यह आपके लिए सुनहरा मौका है.

SBI की किन ब्रांच से खरीद सकते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड
आपको बता दें कि सरकार ने स्टेट बैंक को इलेक्टोरल बॉन्ड बेचने के लिए अधिकृत किया है. इस बॉन्ड को स्टेट बैंक की शिमला, देहरादून, कोलकाता, लखनऊ, नई दिल्ली, चंडीगढ़, श्रीनगर, गांधीनगर, गुवाहाटी, गांधीनगर, भोपाल, रायपुर, मुंबई, चेन्नई, पटना समेत कुल 29 शहरों में एसबीआई ब्रांच से खरीदा जा सकता है. ध्यान देने वाली बात ये है कि एक बॉन्ड की वैधता कुल 15 दिन की होती है. अगर एक्सपायरी डेट निकल जाने के बाद आप बॉन्ड बैंक में जमा करते हैं तो उसकी राशि राजनीतिक पार्टियों को नहीं मिलेगी. इसके साथ ही केवल वहीं राजनीतिक पार्टियां अपना चुनावी बॉन्ड जारी कर सकती हैं जो पिछले लोकसभा या राज्यसभी चुनावों में कुल मत का 1 फीसदी तक प्राप्त कर पाई है. वह इस बॉन्ड के जरिए चांदी इकट्ठा कर सकेंगी.

क्या होता है इलेक्टोरल या चुनावी बॉन्ड?
आपको बता दें कि साल 2018 में मोदी सरकार ने पहली बार राजनीतिक पार्टियों को चंदा जुटाने के लिए इलेक्टोरल या चुनावी बॉन्ड जारी करना शुरू किया था. सरकार का इस बॉन्ड को लाने के पीछे का मकसद यह था कि राजनीतिक पार्टियों को चंदे की फंडिंग में पारदर्शिता लाई जा सके. इस बॉन्ड को कोई व्यक्ति, संस्था या कॉरपोरेट खरीद सकता है. इस बॉन्ड को राजनीतिक संस्था बैंक में जाकर भुगतान करके पैसे ले सकती हैं. ध्यान देने वाली बात ये है कि बैंक केवल उन कस्टमर्स को ही यह चुनावी बॉन्ड बेचती हैं जो केवाईसी वेरीफाई होता है. बॉन्ड के जरिए चंदा देने वाले का नाम गुप्त रखा जाता है.

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