पेट्रोल-डीजल और इलेक्ट्रिक कारों के बीमा प्रीमियम की रकम में क्यों है बड़ा फर्क? जानें क्या है वजह
Electric Vehicle Insurance Premium: पेट्रोल-डीजल और इलेक्ट्रिक वाहनों के इंश्योरेंस प्रीमियम की रकम में फर्क होता है. हमारे विशेषज्ञ से जानिए कि इसकी वजह क्या है.
Electric Car Insurance Premium: इसमें कोई संदेह नहीं है कि नए जमाने की दुनिया में जहां तक मोबिलिटी की बात है तो इसमें टेक्नोलॉजी की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. इलेक्ट्रिक वाहन (EV) इस क्रांति का नेतृत्व कर रहे हैं और ज्यादा से ज्यादा ईवी सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर सड़कों पर आ रहे हैं. हालांकि, वे अभी भी सभी मोटर वाहनों का एक छोटा प्रतिशत हैं, लेकिन पूरे बाजार में उनकी हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है.
पॉलिसीबाजार डॉट कॉम में हेड- मोटर इंश्योरेंस रिन्यूअल्स, अश्विनी दुबे ने कहा, 'लगभग सभी मोटर वाहन निर्माता ईवी सेगमेंट (EV Segment) में भारी निवेश कर रहे हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में एन्यूअल इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री 10 लाख यूनिट को पार करने की उम्मीद है, जिसमें 84 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा रही है. इस दर पर, इलेक्ट्रिक वाहन जल्द ही भारतीय सड़कों पर एक महत्वपूर्ण स्थान ले लेंगे. इंडस्ट्री के आंकड़ों से पता चलता है कि ईवी पहले से ही चाइनीज टू-व्हीलर मार्केट के आधे और उसकी पैसेंजर कारों का एक चौथाई हिस्सा है. भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का जिस तरह का नीतिगत फोकस है, यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत जल्द ही ग्लोबल ईवी मार्किट में मजबूत दावेदार होगा.'
इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए मोटर इंश्योरेंस
किसी भी वाहन मालिक के लिए, मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी उनके वाहनों की सुरक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपकरणों में से एक है. हर साल भारतीय सड़कों पर 4.5 लाख से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. इसलिए सुरक्षित ड्राइविंग और सभी ट्रैफिक नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है. खासतौर पर ट्रैफिक वाली भीड़भाड़ सड़कों पर दुर्घटना की संभावना ज्यादा होती है, और इसके परिणामस्वरूप मरम्मत की भारी लागत आ सकती है. एक इंश्योरेंस पॉलिसी ऐसे मामलों में मरम्मत के लिए भुगतान करके आपकी आर्थिक रूप से रक्षा कर सकती है.
दुर्घटनाओं के अलावा, मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी (Motor Insurance Policy) वाहन को चोरी से भी बचाती है. भारत में एक साल में लगभग 2.5 लाख वाहन चोरी हो जाते हैं, जिनमें से केवल 25 प्रतिशत ही बरामद हो पाते है. इसके अलावा, प्राकृतिक आपदाएं जैसे भूस्खलन, भूकंप और बाढ़ जैसी कई घटनाओं की वजह से आपके वाहन को नुकसान हो सकता है. एक मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी ऐसी सभी स्थितियों में आपकी मदद करती है, चाहे वह पेट्रोल या डीजल वाहन हो, या इलेक्ट्रिक वाहन हो.
ज्यादा से ज्यादा लोग इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने की योजना बना रहे हैं, उन सभी लोगों के सामने एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए इंश्योरेंस कैसे काम करता है. अच्छी खबर यह है कि आज लगभग सभी इंश्योरेंस कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी पेश करती हैं. इंश्योरेंस प्लान फ्यूल बेस्ड कारों की तरह, इलेक्ट्रिक वाहनों की भी दुर्घटना, चोरी के साथ-साथ प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं से सुरक्षा प्रदान करता हैं.
क्या इलेक्ट्रिक वाहनों के इंश्योरेंस (Electric Vehicle Insurance) की लागत ज्यादा है?
दूबे ने बताया कि जब कानून द्वारा अनिवार्य थर्ड पार्टी इलेक्ट्रिक कार इंश्योरेंस की बात आती है, तो इसकी लागत वास्तव में कम होती है क्योंकि भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने पेट्रोल और डीजल कारों की तुलना में इलेक्ट्रिक व्हीकल इंश्योरेंस के प्रीमियम पर 15 प्रतिशत की छूट अनिवार्य कर दी है. वास्तविक शब्दों में, 30 किलोवाट से कम की इलेक्ट्रिक कार के लिए एक थर्ड पार्टी इंश्योरेंस की कीमत लगभग 1,760 रुपये है, जबकि 65 किलोवाट से ऊपर की कारों के लिए, इसकी कीमत लगभग 6,707 रुपये है. 30-65 किलोवाट क्षमता वाली कारों के लिए, थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस कवर की लागत लगभग 2,740 रु है.
उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिक कार के लिए एक कंप्रिहेंसिंव कवर आमतौर पर हाई रिपेयरिंग कॉसट और हाई रिस्क फैक्टर्स के कारण थोड़ा महंगा होता है. मूल रूप से, जब पेट्रोल और डीजल वाहनों की बात आती है, तो उनके इंश्योरेंस में शामिल जोखिमों के बारे में व्यापक डेटा उपलब्ध है और इंश्योरेंस कंपनियां दशकों से उनका इंश्योरेंस कर रही हैं. लेकिन जब इलेक्ट्रिक वाहनों की बात आती है, तो उतना डेटा उपलब्ध नहीं होता है. हालांकि, समय के साथ ईवी इंश्योरेंस में शामिल जोखिमों के बारे में अधिक स्पष्टता प्राप्त होने के बाद, प्रीमियम कम होने की उम्मीद है.
ईवी इंश्योरेंस महंगा होने की एक और वजह बताते हुए दूबे ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन महंगे होते हैं. इसके अलावा, बिजली के पुर्जों की मरम्मत या बदलने की वजह से भी ये महंगा है. एक इलेक्ट्रिक वाहन में शामिल सबसे बड़ी लागत शक्तिशाली बैटरी है जो इसे शक्ति प्रदान करती है. इन बैटरियों को कुछ सालों में बदलना पड़ता है क्योंकि ये एक्सपायरी डेट के साथ आती हैं. दुर्घटना की स्थिति में भी उन्हें बदलना पड़ सकता है.
इलेक्ट्रिक वाहनों के मेंटिनेंस की लगात भी अधिक होती है. इसके अलावा, इलेक्ट्रिक वाहनों की मरम्मत के लिए कुशल कारीगर आसानी से उपलब्ध नहीं होते हैं. इसका मतलब है कि कार की मरम्मत अधिकृत मरम्मत केंद्रों पर ही करानी होगी, जबकी पेट्रोल और डीजल कारों की मरम्मत अक्सर पड़ोस के गैरेज में की जाती है जो काफी सस्ती होती हैं. मरम्मत की उच्च लागत का मतलब यह भी है कि फ्यूल बेस्ड कारों के मुकाबले इंश्योरेंस क्लेम की संख्या ज्यादा होती है, क्योंकि फ्यूल बेस्ड कारो के मालिक अक्सर नो क्लेम बोनस पाने के लिए मामूली मरम्मत के लिए स्वयं भुगतान करते हैं. यह अप्रत्यक्ष रूप से प्रीमियम दरों को प्रभावित करेगा.
भविष्य में घट सकते हैं Electric Vehicles के इंश्योरेंस प्रीमियम
ईवी इंश्योरेंस प्रीमियम बढ़ाने वाले ये सभी कारक काफी हद तक कम हो जाएंगे क्योंकि ज्यादा से ज्यादा ऐसे वाहन सड़क पर आते हैं और समय के साथ उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा अनुभव और विशेषज्ञता प्राप्त होती है. फ्यूल से चलने वाली कार के लिए इंश्योरेंस की तरह, कोई भी अपनी ईवी इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ-साथ ऑप्शनल ऐड-ऑन जैसे रोड साइड असिस्टेंस कवर, जीरो डेप्रिसिएशन कवर, कंज्यूमेबल्स कवर, और यात्रियों के लिए पर्सनल एक्सीडेंट कवर, और हर समय इसी तरह पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनुकूलित कर सकता है.