GST EFFECT: बिजली से चलने वाले घरेलू सामान अब कराएंगे जेब ढीली
नई दिल्ली: घरेलू जरूरत के इलेक्ट्रिक सामान खरीदने की योजना बना रहे लोगों को अपनी जेब थोड़ी और ढीली करनी पड़ेगी. जीएसटी में ऐसे बहुत से इलेक्ट्रोनिक प्रोडक्ट्स और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स के दाम बढ़े हैं जो बिजली से चलते हैं.
जीएसटी आने से पहले ही इलेक्ट्रोनिक कंपनियों ने टीवी, एसी, फ्रिज जैसी कई चीजों के दाम कम किए थे क्योंकि जीएसटी के बाद इन पर ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा. इन एप्लायंसेज को 28 फीसदी टैक्स स्लैब में रखा गया है लिहाजा कंपनियां अपना पुराना स्टॉक निकालने के लिए भारी फर दे रही थीं.
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स कंपनियां त्यौहारी सीजन से पहले एक बार फिर दाम बढ़ा सकती हैं. ऐसा इसलिए होगा क्योंकि संबंधित उद्योग कच्चे माल और स्पेयर पार्ट्स का पुराना स्टाक खत्म होने के बाद उत्पादन के साधनों पर लगने वाले टैक्स के प्रॉफिट के आधार पर कीमतों की समीक्षा कर सकता है.
गोदरेज अप्लायंसेज के कारोबारी प्रमुख और कार्यकारी उपाध्यक्ष कमल नंदी ने कहा, हमारे क्षेत्र के लिए निश्चित तौर पर टैक्सक का बोझ बढ़ेगा. जीएसटी से पहले टैक्स करीब 25-27 फीसदी थी जो सीधा 28 फीसदी हो गई है. यदि ब्रांड और डीलर अपने मुनाफे को पहले के स्तर पर बरकार रखना चाहेंगे तो इससे इन इलेक्ट्रोनिक उत्पादों की कीमतें निश्चित तौर पर बढ़ जाएंगी. वहीं वीडियोकोन के सीओओ सी एम सिंह ने भी ऐसी ही राय दी है कि जीएसटी के बाद इलेक्ट्रोनिक उत्पाद महंगे हो जाएंगे. सिंह ने कहा, हमें जब ताजा खरीदे गये कच्चे मामले से इनपुट क्रेडिट मिलने लगेगा. वहीं अगर ब्रांड और डीलर मुनाफे को पहले के स्तर पर बरकार रखना चाहेंगे तो तो हम फिर से प्रोडक्ट्स् की कीमतें उतनी ही कर देंगे जितनी जीएसटी से पहले थीं.
वैसे तो व्यापारिक साझेदार और डीलर 50 फीसदी तक छूट देकर अपना पुरा स्टाक खत्म कर रहे थे लेकिन कंपनियों के पास अब भी तैयार और कच्चा माल दोनों पड़े हैं. उन्हें टैक्स क्रेडिट का बेनेफिट उठाने और उसे जीएसटी के पहले वाले लेवल पर लाने के लिए 2 से 3 महीने लग जाएंगे.