Tesla in India: एलन मस्क ने साध ली चुप्पी, टेस्ला के इंडिया प्लांट पर नहीं दे रहे जवाब
Elon Musk: टेस्ला के सीईओ एलन मस्क अप्रैल में इंडिया आने वाले थे. मगर, वह चीन चले गए. अब एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि केंद्र सरकार के पास टेस्ला के प्लांट को लेकर कोई जानकारी नहीं है.
Elon Musk: भारत सरकार द्वारा नई ईवी पॉलिसी (EV Policy) के ऐलान के बाद से टेस्ला के इंडिया प्लांट (Tesla Plant) की अटकलें लगनी शुरू हो गई थीं. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि टेस्ला (Tesla) की एक टीम अप्रैल में प्लांट के लिए जमीन तलाशने इंडिया आने वाली है. इसके बाद टेस्ला के सीईओ एलन मस्क (Elon Musk) ने भी भारत आने का ऐलान कर दिया था. मगर, यकायक सब कुछ बदल गया. एलन मस्क सबको झटका देते हुए चीन पहुंच गए और अब उनकी तरफ से इंडिया प्लांट पर कुछ भी नहीं कहा जा रहा है. टेस्ला ने इस मामले में चुप्पी साध ली है.
केंद्र सरकार को कंपनी ने नहीं भेजा कोई प्लान
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, टेस्ला की तरफ से अभी तक इंडिया प्लांट को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है. हमारी ईवी पॉलिसी हर कंपनी के लिए है. केंद्र सरकार को कंपनी के किसी प्लान की जानकारी नहीं है. एलन मस्क 21 और 22 अप्रैल को इंडिया में ही रहने वाले थे. इस दौरान उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से होने वाली थी. मगर, उन्होंने आखिरी मिनट में इस यात्रा को टालते हुए कहा था कि फिलहाल वह कई जिम्मेदारियों में फंसे हुए हैं. साल के आखिर में उन्होंने भारत आने का ऐलान किया था. इंडिया प्लांट के मामले पर टेस्ला को भेजे ईमेल में भी कोई जानकारी नहीं दी गई है.
पिछले साल जून में मिले थे एलन मस्क और पीएम मोदी
एलन मस्क और पीएम मोदी की मुलाकात पिछले साल जून में हुई थी. इसके बाद से ही टेस्ला के इंडिया आने के कयास लगाए जाने लगे थे. एलन मस्क ने भी इंडिया में प्लांट लगाने की इच्छा जताई थी. साथ ही उन्होंने भारत सरकार से इलेक्ट्रिक कारों पर इंपोर्ट ड्यूटी भी कम करने का आग्रह किया था.
ईवी पॉलिसी में छूट का हुआ था ऐलान
सरकार द्वारा घोषित नई ईवी पॉलिसी में देश में मैन्युफैक्चरिंग पर 4150 करोड़ रुपये का इनवेस्टमेंट करने वाली कंपनियों को टैक्स में छूट देने की घोषणा की गई थी. इसके चलते उन्हें 35 हजार डॉलर से ज्यादा कीमत वाली कारों को भारत में आयात करने पर 15 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी ही चुकानी पड़ेगी. साथ ही जो कंपनी जितना ज्यादा निवेश करेगी, उसे उतनी ही ज्यादा कारों को इंपोर्ट करने पर छूट मिलेगी.
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