इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम को अक्सर लोग सिर्फ टैक्स बचाने वाली सेविंग या निवेश स्कीम मान लेते हैं. अमूमन वित्त वर्ष के आखिर में लोग इनमें निवेश कर 80 सी के तहत मिलने वाली टैक्स छूट का दायरा बढ़ाना चाहते हैं. लेकिन अगर आप एक संजीदा निवेशक हैं तो इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम आपकी लंबी अवधि के फंड निर्माण लिए बेहतरीन निवेश साबित हो सकता है.


ईएलएसएस (ELSS) यानी इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम टैक्स बचाने वाली म्यूचुअल फंड स्कीम है, जो लंबी अवधि के निवेश को बढ़ावा देती है. एक वित्त वर्ष में इन स्कीम में डेढ़ लाख रुपये तक के निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट सेक्शन के 80 सी के तहत टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं. हालांकि इसमें निवेश की कोई सीमा नहीं है. टैक्स बचत के लिए दूसरे परंपरागत निवेश के साधनों मसलन एफडी, एनएससी और किसान विकास पत्र के मुकाबले इसमें आमतौर पर बेहतर रिटर्न भी मिलता है और टैक्स छूट का लाभ भी.


लॉक इन पीरियड से आगे भी कर सकते हैं निवेश 


ईएलएसएस में लॉक-इन पीरियड होता है लेकिन खासियत यह है कि उसके बाद भी इसमें निवेश जारी रख सकते हैं. तीन या पांच साल के लॉक-इन पीरियड वाली स्कीम को भी लंबे समय तक होल्ड किया जा सकता है. लंबी अवधि में रखने से रिटर्न बढ़ने की गुंजाइश बढ़ जाती है. लॉक इन पीरियड होने का फायदा यह है कि इसे निवेशक लंबी अवधि तक होल्ड करते हैं, जिससे रिटर्न बढ़ने की गुंजाइश भी बढ़ जाती है. ईएलएसएस में  80 फीसदी एक्सपोजर इक्विटी में होना चाहिए. यह टेक्निकली 100 फीसदी तक हो सकता है. ईएलएसएस में सभी मार्केट कैप में निवेश करने की फ्लेक्सिबिलिटी भी है. जो इसे इक्विटी फंड्स के बीच एक यूनिक प्रोडक्ट बनाता है.


एसआईपी के जरिये भी कर सकते हैं एंट्री 


ईएलएसएस में एसआईपी के जरिये भी निवेश किया जा सकता है. इससे ईएलएसएस का आकर्षण और बढ़ जाता है. ईएलएसएस में निवेश पर होने वाला लाभ और रिडम्‍पशन से मिलने वाली राशि भी पूरी तरह टैक्‍स फ्री होती है. ईएलएसएस बेहतर पोस्‍ट-टैक्‍स रिटर्न देता है, क्‍योंकि ईएलएसएस म्‍यूचुअल फंड से एक साल में मिलने वाला 1 लाख रुपए तक एलटीसीजी को आयकर से छूट है. इस सीमा से अधिक लाभ पर 10 फीसदी की दर से टैक्‍स देना होता है. 


कोरोना महामारी का असर: लॉकडाउन से अप्रैल में भारत की आर्थिक गतिविधि हुई धीमी


Infosys: 2020-21 में 45% बढ़ी सीईओ की सैलरी, 34 करोड़ की जगह 49 करोड़ रुपए हुई सैलरी