Personal Loan: पर्सनल लोन लेते समय, ब्याज दरों से ही यह तय होता है कि आप मूलधन के अलावा और कितनी रकम चुकाएंगे. ऐसे में, ब्याज़ दर में मामूली बढ़ोतरी होने पर भी आपकी समान मासिक किस्तें (EMIs) काफी हद तक बढ़ सकती हैं, जिसका सीधा असर आपकी आर्थिक स्थिति पर पड़ सकता है. समझदारी से लोन लेने का फैसला करने के लिए, इस असर को समझना काफी मायने रखता है.


EMIs के पीछे का गणित


पर्सनल लोन EMIs दरअसल लोन की रकम, ब्याज़ दर और लोन की समय-सीमा पर निर्भर है. इस फॉर्मूले में कम्पाउंडिंग को भी शामिल किया जाता है, जो ब्याज़ दरों में छोटे-छोटे बदलावों के असर को कई गुना बढ़ा देता है. उदाहरण के लिए, अगर पर्सनल लोन पर ब्याज़ 10% से बढ़कर 11% हो जाए, तो पहली नज़र में EMI में बढ़ोतरी बेहद मामूली लग सकती है. लेकिन लंबे समय में देखा जाए, तो आगे चलकर यही अंतर एक बड़ी रकम में बदल जाता है.


अब 5 साल के लिए 5 लाख रुपये के पर्सनल लोन के इस उदाहरण पर गौर कीजिए:


10% ब्याज़ दर पर: EMI = 10,624 रुपये


11% ब्याज़ दर पर: EMI = 10,871 रुपये


ब्याज़ दर में इस मामूली बढ़ोतरी से हर महीने का भुगतान 247 रुपये बढ़ जाता है, और यह रकम 5 सालों में कुल मिलाकर 14,820 रुपये हो जाती है.
किन वजहों से ब्याज़ दरों में बदलाव होता है?


1. बाज़ार की स्थिति: महंगाई या केंद्रीय बैंक की नीति में बदलाव जैसे आर्थिक कारकों का सीधा असर ब्याज़ दरों पर पड़ता है.


2. लोन का प्रकार: फ्लोटिंग ब्याज़ दरों वाले पर्सनल लोन में उतार-चढ़ाव की अधिक संभावना होती है.


3. क्रेडिट प्रोफ़ाइल: अक्सर कम क्रेडिट स्कोर वाले ग्राहकों को इकोनॉमिक एडजस्टमेंट के दौरान अधिक ब्याज़ दर चुकाना पड़ता है.


आपको ब्याज़ दरों पर ध्यान क्यों देना चाहिए?


पर्सनल लोन पर ब्याज में छोटे-छोटे बदलावों से आपकी देनदारियों में भी बदलाव आ सकता है. अधिक EMIs से डिस्पोजेबल इनकम, यानी अतिरिक्त खर्च के लिए आय कम हो जाती है और इसका बुरा असर आपके मासिक बजट पर पड़ सकता है. इसलिए बाज़ार पर नज़रें बनाए रखना या ब्याज़ दरें कम होने पर फिक्स्ड रेट पर लोन लेना बेहद ज़रूरी है.


ब्याज़ दरों में बढ़ोतरी को संभालना


1. लोन की सही समय-सीमा चुनें


लोन की समय-सीमा कम होने से अधिक ब्याज़ दरों का असर भी कम होता है, लेकिन ऐसे में EMIs की रकम थोड़ी ज़्यादा हो सकती है. उदाहरण के लिए, 5 सालों के बजाय 3 साल में लोन चुकाने से ब्याज़ पर काफी बचत होती है.


2. अपने लोन को रिफाइनैंस करें


अगर आप अपने मौजूदा लेंडर को छोड़कर कम ब्याज़ दरों पर लोन देने वाले संस्थान को चुनते हैं, तो आपको बढ़ती लागतों की भरपाई करने में मदद मिल सकती है. लोन की रिफाइनैंसिंग के समय आपके लिए प्रोसेसिंग फीस और कुल लागत का हिसाब लगाना बेहद ज़रूरी है.


3. अपना क्रेडिट स्कोर बढ़ाएँ


अपने क्रेडिट स्कोर को अधिकतम बनाए रखने से आपको बेहतर ब्याज़ दरों पर लोन मिलता है, जिससे EMIs के भारी बोझ की संभावना कम हो जाती है. पर्सनल लोन कैसे आपकी मदद कर सकता है बजाज फिनसर्व पर्सनल लोन बेहद आसान और सुविधाजनक होने की वजह से सबसे लोकप्रिय विकल्प है.इसमें लोन की प्रक्रिया अच्छी तरह व्यवस्थित है, जिसमें बेहद कम दस्तावेज़ों की ज़रूरत होती है. लोन लेनेवाले ग्राहकों के आवेदन को तुरंत मंजूरी मिल सकती है, और वे 24 घंटे* के भीतर लोन की रकम प्राप्त कर सकते हैं. लोन की अधिकतम रकम, बेहद कम कागजी कार्रवाई और तुरंत अदायगी जैसी सुविधाओं वालेइस लोन की मदद से आपके लिए अपने बड़े और छोटे खर्चों को संभालना आसान हो जाता है. ऑनलाइन टूल की मदद लेकर अपनी ज़रूरत के अनुसार रकम प्राप्त करें और स्मार्ट तरीके से लोन चुकाने की योजना बनाएँ.


बजट की योजना बनाने की अहमियत


पर्सनल लोन लेने से पहले, अलग-अलग ब्याज़ दरों के साथ अपने मासिक भुगतान का सही-सही अंदाज़ा लगाने के लिए EMI कैलकुलेटर का उपयोग करें. ऐसे में बजट की योजना बनाना बेहद ज़रूरी है, ताकि आप पैसों के बारे में चिंतित हुए बिना भविष्य में ब्याज़ दरों में बढ़ोतरी को आसानी से संभाल सकें.


निष्कर्ष


ब्याज़ दरों में मामूली बढ़ोतरी भी आपकी EMI को काफी हद तक बढ़ा सकती है, जिसका असर आपकी पूरी फाइनैंशियल प्लानिंग पर पड़ सकता है. सावधानी से पर्सनल लोन चुनकर, ब्याज़ दरों पर अच्छी तरह गौर करके और लोन चुकाने से जुड़ी बातों को समझदारी से प्रबंधित करके, आप ब्याज़ दरों में उतार-चढ़ाव के असर को कम कर सकते हैं. हमेशा लोन के विकल्पों के बारे में जानकारी रखें और बेहतर योजना बनाने के लिए EMI कैलकुलेटर जैसे टूल्स का उपयोग करें.


डिस्क्लेमरः यह एक फीचर आर्टिकल है. एबीपी नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड/या एबीपी लाइव किसी भी तरह से इस आर्टिकल/विज्ञापन की सामग्री या यहां व्यक्त विचारों का समर्थन/सदस्यता नहीं लेते हैं. पाठकों को स्वविवेक की सलाह दी जाती है.