नई दिल्लीः श्रम मंत्रालय ने कहा कि कर्मचारी अगले तीन महीने तक अपने मूल वेतन की नई सीमा 10 फीसदी से अधिक भविष्य निधि में योगदान कर सकते हैं. हालांकि एंप्लॉयर को कर्मचारियों के बराबर उच्च दर से योगदान देने की जरूरत नहीं है.
श्रम मंत्रालय ने साफ की स्थिति
श्रम मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि कर्मचारी चाहें तो इस साल अपने प्रॉविडेंट फंड में मई, जून और जुलाई के समयकाल में 10 फीसदी से ज्यादा अंशदान भी दे सकते हैं. हालांकि, एंप्लॉयर हर कर्मचारी के लिए अपने अंशदान को 10 फीसदी पर सीमित रख सकते हैं.
बता दें कि वित्त मंत्री ने हाल ही में जो एलान किए थे उसमें तीन महीने के लिए पीएफ खाते में अंशदान की न्यूनतम वैधानिक सीमा को 12 फीसद से घटाकर 10 फीसदी किया था. इससे कर्मचारी ज्यादा इन-हैंड सैलरी हासिल कर सकेंगे और इसके अलावा एंप्लॉयर की कॉस्ट में भी कमी आएगी.
मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि ईपीएफ योजना, 1952 के तहत किसी भी सदस्य के पास वैधानिक दर (10 फीसदी) से अधिक दर पर योगदान करने का विकल्प होता है. पर कर्मचारी के संबंध में नियोक्ता अपने योगदान को 10 फीसदी (वैधानिक दर) तक सीमित कर सकता है.’’
मई-जून-जुलाई के लिए है ये राहत
बयान में साफ तौर पर कहा गया है कि जून, जुलाई और अगस्त में मिलने वाला क्रमश: मई, जून और जुलाई के वेतन में नियोक्ताओं का सामाजिक सुरक्षा योजना में योगदान 10 फीसदी होगा.
मंत्रालय ने सोमवार को भविष्य निधि में योगदान के 10 फीसदी निम्न दर से योगदान को नोटिफाई कर दिया. इस फैसले से संगठित क्षेत्र के 4.3 करोड़ कर्मचारी घर अधिक वेतन ले जा सकेंगे और कोरोना वायरस महामारी के चलते नकदी संकट से जूझ रहे एंप्लॉयर को भी कुछ राहत मिलेगी.
पिछले हफ्ते हुआ था एलान
पिछले सप्ताह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तीन महीने के लिये भविष्य निधि में नियोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों के योगदान को 12 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी करने की घोषणा की थी. इसका मकसद नियोक्ताओं और कर्मचारियों के पास नकदी की मात्रा बढ़ाना है.
योगदान की दर में की गई कटौती केंद्र और राज्य सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों अथवा केंद्र सरकार या राज्य सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण वाले किसी भी अन्य प्रतिष्ठान पर लागू नहीं है. ये प्रतिष्ठान मूल वेतन और महंगाई भत्ते के 12 फीसदी का योगदान पूर्व की तरह करते रहेंगे.
कम की गई दर पीएमजीकेवाई (प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना) लाभार्थियों के लिए भी लागू नहीं है, क्योंकि पूरा कर्मचारी ईपीएफ योगदान (वेतन का 12 फीसदी) और नियोक्ताओं का ईपीएफ और ईपीएस योगदान (वेतन का 12 फीसदी), मासिक वेतन का कुल 24 फीसदी का योगदान केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा है.
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