नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने कल एक फैसला दिया है जो निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए खुशखबरी साबित होगा. सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है जिसमें उसने ईपीएफओ (एंप्लाई प्रोविडेंट फंड आर्गेनाइजेशन) को आदेश दिया था कि हर महीने निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की पूरी सैलरी के आधार पर पेंशन तय होनी चाहिए. पहले ये सीमा 15,000 रुपये अधिकतम थी. इस फैसले के बाद निजी क्षेत्र के वो कर्मचारी जो ईपीएफओ से जुड़े हैं उनके लिए पेंशन में बढ़ोतरी का रास्ता साफ हो गया है.


सुप्रीम कोर्ट की बेंच में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल ने ये फैसला देते हुए कहा कि उसे ईपीएफओ की याचिका में कोई दम नजर नहीं आया. दरअसल ईपीएफओ ने केरल हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसमें उसने कहा था था कि कर्मचारियों की अंतिम सैलरी के आधार पर पेंशन की राशि तय की जानी चाहिए.


इस फैसले के बाद निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को उनकी अंतिम सैलरी के हिसाब से पेंशन तय हो सकेगी. पहले ये सीमा 15,000 रुपये अधिकतम थी यानी चाहे कर्मचारी जिस भी सैलरी से रिटायर हुआ हो उसकी सैलरी का आधार 15,000 रुपये से ज्यादा तय नहीं हो सकता था.


एंप्लाई पेंशन स्कीम साल 1995 में संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए लाई गई थी. इस योजना के तहत ईपीएस के अंतर्गत आने वाले सभी एंप्लाई को स्थायी रूप से पेंशन की सुविधा मिलती है.



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