प्रॉविडेंट फंड में ढाई लाख रुपये से ज्यादा के निवेश पर टैक्स लगाने के फैसले से इन आशंकाओं को बल मिलने लगा था कि सरकार पीपीएफ में भी टैक्स छूट को खत्म कर सकती है. लेकिन सरकार ने साफ किया है कि यह नियम इस पर लागू नहीं होगा. इकनॉमिक टाइम्स में छपी एक खबर के मुताबिक इस मामले से एक बड़े अधिकारी ने बताया कि ईपीएफ और जीपीएफ (इसमें वीपीएफ भी आता है) के लिए टैक्स छूट को हटाया गया है पीपीएफ में नहीं. इसलिए लोगों को इस बात पर निश्चित रहना चाहिए कि पीपीएफ में निवेश पर जो टैक्स छूट मिलती थी वो जारी रहेगी.
पीपीएफ में सालाना डेढ़ लाख तक ही निवेश कर सकते हैं
दरअसल पीपीएफ में साल में डे़ढ लाख तक कंट्रीब्यूट कर सकते हैं. इसी पर टैक्स छूट है. इससे ज्यादा निवेश कर ही नहीं सकते. अब पीएफ में सालाना ढाई लाख से ऊपर रकम जमा करने पर टैक्स कटौती के फैसले के बाद लोग मांग करने लगे हैं कि पीपीएफ निवेश की सीमा बढ़ा कर ढाई लाख रुपये कर दी जाए. हालांकि सरकार इतनी जल्दी इस मांग को मानने को तैयार नहीं दिखती.
ईपीएफ में नए टैक्स नियम का असर सिर्फ एक लाख कंट्रीब्यूटर्स पर
सरकार की ओर से बजट प्रावधानों में कहा गया था कि मोटी कमाई के चक्कर में लोग वीपीएफ में भारी निवेश कर रहे हैं. चूंकि वीपीएफ में रिटर्न की दरें ऊंची हैं और इस पर टैक्स नहीं लगता इसलिए निवेशक इसमें मोटी रकम जमा कर रहे थे. लिहाजा उसने ढाई लाख रुपये से अधिक सालाना कंट्रीब्यूशन पर टैक्स लगाने का फैसला किया है. हालांकि इससे एक फीसदी कम कंट्रीब्यूटर्स पर फर्क पड़ेगा. वित्त वर्ष 2018-19 में करीब 1,23,000 लोगों की ईपीएफ कोष 62,500 करोड़ रुपये का था. वहीं, टॉप 20 अमीर कॉन्ट्रीब्यूटर्स के खातों में लगभग 825 करोड़ रुपये थे. 100 कॉन्ट्रीब्यूटर्स में खातों में लगभग दो हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम थी ईपीएफ के छह करोड़ तीस लाख से अधिक सदस्य हैं
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