केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में हुई सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) की 236वीं बैठक में कई बड़े मुद्दों पर जानकारी साझा की गई. इस बैठक में EPFO की तरफ से बताया गया कि ऑटोक्लेम सेटलमेंट की सुविधा सीमा को 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया है. इसके साथ ही जानकारी दी गई कि इस वित्त वर्ष में 1.15 करोड़ ऐसे क्लेम थे, जिन्हें ऑटो मोड द्वारा सेटेल किया गया है. यहां तक कि नवंबर महीने में रिजेक्शन रेट घटकर 14 फीसदी ही रह गया है.


तेजी से सेटेल हो रहे हैं क्लेम


सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की 236वीं बैठक में EPFO की तरफ से बताया गया कि वित्त वर्ष 2023-24 में 1.82 लाख करोड़ रुपये के 4.45 करोड़ क्लेम को सेटल किया गया. वहीं, मौजूदा वित्त वर्ष की बात करें तो अब तक 1.57 लाख करोड़ रुपये के 3.83 करोड़ क्लेम को EPFO के द्वारा सेटेल किया जा चुका है.


तैयार हो रहा है CITES 2.01 प्रोजेक्ट


EPFO की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया कि CITES 2.01 प्रोजेक्ट पर तेजी से काम हो रहा है. इस प्रोजेक्ट के साथ-साथ ईपीएफओ अपने सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर दोनों को अपग्रेड कर रहा है. वहीं, CITES 2.01 प्रोजेक्ट के तहत ऑपरेटिंग सिस्टम का नया वर्जन तैयार किया जा रहा है जो ऑटो क्लेम की सुविधा को और सरल और आसान बना देगा. सबसे बड़ी बात कि नए वर्जन में यूएएन नंबर के जरिए अकाउंटिंग संभव होगी, जिसकी वजह से एक मेंबर, एक अकाउंट वाला सिस्टम तैयार हो जाएगा. इससे क्लेम को सेटल करने में भी आसानी होगी.


ब्याज को लेकर कही ये बात


आपको बता दें, सीबीटी ने ईपीएफ योजना, 1952 के पैराग्राफ 60(2)(बी) में एक महत्वपूर्ण संशोधन को मंजूरी दी है. दरअसल, अब तक महीने की तारीख तक सेटेल किए गए क्लेम के लिए, ब्याज का भुगतान केवल पिछले महीने के अंत तक ही किया जाता है. लेकिन संशोधन के बाद अब, ब्याज का भुगतान सेटलमेंट की तारीख तक मेंबर को किया जाएगा.


ईटीएफ निवेश के लिए कही ये बात


CBT (केंद्रीय न्यासी बोर्ड) ने EPF योजना के 'इंट्रेस्ट अकाउंट' के लिए आय उत्पन्न करने के उद्देश्य से CPSE और भारत 22 के ईटीएफ निवेशों के लिए एक विमोचन नीति (Redemption Policy) को मंजूरी दी. इस नीति के तहत कम से कम पांच साल की होल्डिंग जरूरी होगी. वहीं, निवेश पर रिटर्न सरकारी प्रतिभूतियों से अधिक होना चाहिए, और CPSE और भारत 22 सूचकांकों (indices) के प्रदर्शन से बेहतर होना चाहिए.


इसके अलावा, CBT ने उन दिशानिर्देशों को भी मंजूरी दी, जो सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (PSU) द्वारा प्रायोजित इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvITs) और रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (REITs) में निवेश करने के लिए हैं. ये ट्रस्ट भारतीय प्रतिभूति और SEBI द्वारा रेगुलेट होते हैं और निवेश पैटर्न के श्रेणी V(b) और V(d) के अंतर्गत आते हैं.


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