सितंबर में दस लाख लोगों ने नई नौकरी ज्वाइन की है. ईपीएफओ के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर में दस लाख से भी ज्यादा लोग पे-रोल में आए हैं. जुलाई और अगस्त क्रमश: 6,68,384 और 7,19,116 लोग पे-रोल पर आए थे. लेकिन सितंबर में इनकी तादाद बढ़ी है. इस बीच ईपीएएफओ ने उन खबरों का खंडन किया है, जिनमें कहा गया है कि ईपीएफओ में रजिस्ट्रेशन कराने वाली कंपनियों की तादाद तेजी से घट रही है. ईपीएफओ ने कहा कि मीडिया में आने वाली ऐसे खबरें सही नहीं हैं.
ईपीएफओ ने रजिस्ट्रेशन की खबरों का खंडन किया
मिंट की एक खबर में कहा गया है कि अक्टूबर में ईपीएफओ में रजिस्ट्रेशन कराने वाले कारोबारी प्रतिष्ठानों में भारी कमी आई है. सितंबर की तुलना में अक्टूबर में इसमें 30,800 की कमी आई है. इसका मतलब यह है कि रोजगार नहीं बढ़ रहा है. ईपीएफओ कर्मचारियों के पीएफ का प्रबंधन करता है. इन आंकड़ों से साफ है कि कंपनियां कोरोना संक्रमण की मार से उबर नहीं पा रही हैं और इसकी वजह से वे लगातार कर्मचारियों को नौकरियों से निकाल रही हैं. लेकिन ईपीएफओ का कहना है कि रजिस्ट्रेशन बढ़ा है, घटा नहीं है. मीडिया में इस बारे में आ रही खबरें बेबुनियाद है.
पेंशन फंड में योगदान घटने की भी खबर
मिंट ने ईपीएफओ के आंकड़ों के हवाले से खबर दी है कि सितंबर में ईपीएफओ में रजिस्टर्ड कंपनियों की संख्या 5,04,044 थी लेकिन सितंबर में यह घट कर 5,34,869 हो गई. मई के बाद ऐसा पहली बार हुआ है. मई के बाद हालात में सुधार हुए थे लेकिन अक्टूबर में इसमें गिरावट आ गई. ईपीएफ सदस्यों की संख्या भी घट गई है.यानी अब कम लोग ईपीएफ में योगदान कर रहे हैं. मिंट के आंकड़े में दिखाया गया है कि सितंबर की तुलना में पेंशन फंड में योगदान करने वालों की संख्या 18 लाख घट गई.
विश्लेषकों का मानना है कि ईपीएफओ में रजिस्टर्ड कंपनियों में इस बड़ी गिरावट से साफ है कि अर्थव्यवस्था की हालत खस्ता है. लेकिन इससे यह भी जाहिर है कि कंपनियां भारी मु्श्किल का सामना कर रही हैं. कहा जा रहा है कि कुछ कंपनियां नौकरियां दे रही हैं लेकिन पीएफ में योगदान नहीं कर रही हैं. लागत घटाने के लिए वे कर्मचारियों का पीएफ नहीं काट रही हैं.
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