Higher Pension Scheme: कैसे होगा ज्यादा पेंशन का कैलकुलेशन? श्रम मंत्रालय ने बताई ये बात
Higher Pension Calculation: ईपीएफओ ने ज्यादा पेंशन वाली स्कीम को चुनने की डेडलाइन हाल ही में एक बार फिर से बढ़ाई है. श्रम मंत्रालय ने अब इसे तय करने का फॉर्मूला साझा किया है...
Labour Ministry Higher Pension: पेंशन योजना (Pension Scheme) पिछले छह महीने से सुर्खियों में है. पिछले साल नवंबर में ज्यादा पेंशन की सुविधा को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला आने के बाद लगातार इसकी चर्चा हो रही है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ (EPFO) ने कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के तहत ज्यादा पेंशन पाने के विकल्प के लिए डेडलाइन एक बार फिर से बढ़ा दी है. इन सब के बीच लोगों को सबसे ज्यादा यह सवाल परेशान कर रहा है कि ज्यादा पेंशन का कैलकुलेशन कैसे होगा... श्रम मंत्रालय (Labour Ministry) ने अब इसका फॉर्मूला लोगों के साथ साझा किया है.
श्रम मंत्रालय का स्पष्टीकरण
श्रम मंत्रालय ने बुधवार को साफ किया कि वह ज्यादा पेंशन की गणना करने के लिए पीएफ में नियोक्ता के कुल 12 फीसदी योगदान में से 1.16 फीसदी अतिरिक्त योगदान का इस्तेमाल करेगा. यह सुप्रीम कोर्ट के 4 नवंबर 2022 के फैसले के अनुरूप होगा. श्रम मंत्रालय ने इसके साथ ही यह भी बताया कि कर्मचारी पेंशन योजना के सब्सक्राइबर्स के ऊपर से बोझ को कम करने वाला यह कदम रेट्रोस्पेक्टिव होगा, यानी यह फैसला आने के दिन से नहीं बल्कि और पीछे से लागू होगा.
यहां से पेंशन फंड में जाएगा पैसा
मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि एवं अन्य प्रावधान अधिनियम के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा संहिता में यह बताया गया है कि पेंशन फंड के लिए कर्मचारियों से योगदान नहीं लिया जा सकता है. इसे ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि पेंशन फंड के लिए नियोक्ताओं के उस 12 फीसदी योगदान से ही अतिरिक्त 1.16 फीसदी हिस्सा लिया जाएगा, जो प्रोविडेंट फंड में जा रहा है.
नहीं पड़ेगा कर्मचारियों पर बोझ
आपको बता दें कि ईपीएस में कर्मचारी अपनी ओर से कोई योगदान नहीं देता है. कंपनी की ओर से जो कुल 12 फीसदी का योगदान दिया जाता है, उसमें से ही 8.33 फीसदी हिस्सा ईपीएस में जाता है. कंपनी के अंशदान में इससे ज्यादा जो भी रकम होती है, वह ईपीएफ में चली जाती है. श्रम मंत्रालय ने साफ किया है कि ईपीएस में बढ़ा योगदान भी कंपनी के हिस्से से जाएगा, जिसका मतलब हुआ कि अधिक पेंशन का विकल्प चुनने पर भी टेक होम सैलरी या इन हैंड सैलरी पर कोई असर नहीं होगा.
यहां हो जाएगा नुकसान
हालांकि इसका नुकसान भी है. अगर आप ज्यादा पेंशन वाला विकल्प चुनते हैं तो कंपनी की ओर से पीएफ में जमा होने वाली रकम कम होगी, जिसका असर आपके पीएफ फंड पर पड़ेगा. पीएफ में कर्मचारियों को चक्रवृद्धि ब्याज का फायदा मिलता है. अब चूंकि पीएफ का हिस्सा ईपीएस में जाएगा तो चक्रवृद्धि का फायदा भी कम हो जाएगा. इसी तरह नौकरी से रिटायर होने या पहले ही छोड़ देने पर पीएफ से जो एकमुश्त रकम मिलती है, ज्यादा पेंशन का विकल्प चुनने पर इस रकम पर भी असर होगा.
इस तारीख तक बढ़ी डेडलाइन
ज्यादा पेंशन पाने के विकल्प के लिए डेडलाइन 03 मई को समाप्त हो रही थी. ईपीएफओ ने इसे बढ़ा दिया है और अब इच्छुक अंशदाता 26 जून 2023 तक ज्यादा पेंशन पाने का विकल्प चुन सकते हैं. इसकी डेडलाइन दूसरी बार बढ़ाई गई है. सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में 4 नवंबर 2022 को दिए एक आदेश में 3 मार्च तक की समयसीमा तय की थी. ईपीएफओ ने उसके बाद ज्यादा पेंशन पाने का विकल्प चुनने के लिए समयसीमा को 3 मई तक के लिए बढ़ा दी थी. अब इसे और आगे खिसकाया गया है.
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