Higher Pension Deadline: ईपीएफओ ने फिर से बढ़ाई डेडलाइन, अब इस तारीख तक मिलेगा ज्यादा पेंशन वाली स्कीम का लाभ
EPFO Higher Pension Scheme: ईपीएफओ ने ज्यादा पेंशन वाली स्कीम यानी ईपीएस-95 को लेकर लोगों को एक बार फिर से बड़ी राहत दी है. ईपीएफओ ने इसकी डेडलाइन एक बार फिर से बढ़ा दी है...
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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ (EPFO) ने कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के तहत ज्यादा पेंशन पाने के विकल्प के लिए डेडलाइन एक बार फिर से बढ़ा दी है. पहले इसकी डेडलाइन आज यानी 03 मई को समाप्त हो रही थी, लेकिन अब इसे करीब दो महीने के लिए बढ़ा दिया गया है. इससे उन लोगों को फायदा होगा, जो ज्यादा पेंशन योजना वाली स्कीम को चुनना चाह रहे थे, लेकिन कुछ कारणों से ऐसा नहीं कर पाए थे. अब ऐसे अंशदाताओं को पसंदीदा विकल्प चुनने के लिए और समय मिल गया है.
अब इस तारीख तक चुनने का मौका
इसकी डेडलाइन दूसरी बार बढ़ाई गई है. सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में 4 नवंबर 2022 को दिए एक आदेश में 3 मार्च तक की समयसीमा तय की थी. ईपीएफओ ने उसके बाद ज्यादा पेंशन पाने का विकल्प चुनने के लिए समयसीमा को 3 मई यानी आज तक के लिए बढ़ा दी थी. अब इसे और आगे खिसकाया गया है. डेडलाइन में ताजे बदलाव के बाद इच्छुक अंशदाता 26 जून 2023 तक ज्यादा पेंशन पाने का विकल्प चुन सकते हैं.
इस कारण बढ़ी है डेडलाइन
पहली बार जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 4 महीने के बाद की डेडलाइन तय की थी, तब ईपीएफओ को पात्र कर्मचारियों के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा बहाल करने में काफी समय लग गया था. ईपीएफओ ने यह सुविधा फरवरी में शुरू की थी. यानी सुप्रीम कोर्ट के द्वारा डेडलाइन तय करने के बाद 3 महीने का समय तक तब बीत चुका था. यही कारण है कि पहली बार ईपीएफओ ने मार्च में डेडलाइन को आगे बढ़ाने का फैसला लिया. इस कारण डेडलाइन को आगे बढ़ाने की वजह इसे माना जा रहा है कि अभी भी ऐसे कर्मचारियों की काफी संख्या है, जो निर्णय नहीं ले पाए हैं. ऐसे में इन कर्मचारियों को अब अच्छे से समझ कर फैसला लेने के लिए और समय मिल गया है.
ऐसे शुरू हुई थी स्कीम
कर्मचारी पेंशन योजना का लाभ कुछ साल पहले तक बहुत कम लोगों को मिलता था. पहले इसका लाभ सिर्फ सरकारी कर्मचारी ही उठा सकते थे. हालांकि बाद में सरकार ने इस योजना का विस्तार किया और सामाजिक सुरक्षा का लाभ प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों को भी मिलने लगा. यह बदलाव हुआ साल 1995 में और इसी कारण स्कीम को ईपीएस-95 यानी कर्मचारी पेंशन योजना-1995 के नाम से भी जाना जाता है. चूंकि ईपीएस को कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम के तहत शुरू किया गया था, इसका लाभ हर उस कर्मचारी को मिलने लगा, जो ईपीएफ के दायरे में थे. हालांकि इसमें एक शर्त थी कि जिन कर्मचारियों की बेसिक सैलरी और डीए 15 हजार रुपये महीना है, सिर्फ उन्हें ही ईपीएस का लाभ मिलेगा.
ऐसे मिलती है ज्यादा पेंशन
ईपीएस में कर्मचारी अपनी ओर से कोई योगदान नहीं देता है. कंपनी की ओर से जो कुल 12 फीसदी का योगदान दिया जाता है, उसमें से ही 8.33 फीसदी हिस्सा ईपीएस में जाता है. चूंकि पेंशन योग्य सैलरी की लिमिट 15 हजार है, इस कारण ईपीएस का योगदान भी 1,250 रुपये पर सीमित हो जाता है. कंपनी के अंशदान में इससे ज्यादा जो भी रकम होती है, वह ईपीएफ में चली जाती है. अब चूंकि ईपीएस में बढ़ा योगदान भी कंपनी के हिस्से से जाना है, इसका मतलब हुआ कि अधिक पेंशन का विकल्प चुनने पर भी टेक होम सैलरी या इन हैंड सैलरी पर कोई असर नहीं होगा.
इस स्कीम के नुकसान
ईपीएस-95 का विकल्प चुनने पर आपको एक ओर रिटायरमेंट के बाद पेंशन कुछ ज्यादा मिलेगी, लेकिन एकमुश्त मिलने वाली पीएफ की रकम कम हो जाएगी. दूसरा नुकसान यह है कि पीएफ में कर्मचारियों को चक्रवृद्धि ब्याज का फायदा मिलता है. अब चूंकि पीएफ का हिस्सा ईपीएस में जाएगा तो चक्रवृद्धि का फायदा भी कम हो जाएगा. ईपीएस-95 को चुनने का का एक और बड़ा नुकसान है कि आप जल्दी रिटायर नहीं हो सकते हैं. इसका लाभ सिर्फ उन्हीं लोगों को मिलता है, जो या तो 58 साल की उम्र तक या कम से कम 10 साल तक काम करते हैं. ईपीएस में तुलनात्मक रूप से ब्याज भी कम मिलता है. इसके अलावा एक अन्य लाभ अनहोनी की स्थिति में है. अगर आपके साथ कोई अनहोनी हो जाती है तो ईपीएफ की सारी रकम आपके नॉमिनी का मिल जाती है. वहीं ईपीएस के मामले में नॉमिनी को आधी पेंशन का ही लाभ मिलता है.
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