EPFO Investment In Adani Stocks: अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी समूह के स्टॉक्स की भारी पिटाई हुई है. देसी विदेशी निवेशक अडानी समूह के स्टॉक्स से दूरी बना रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं देश के 6 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी जो अपने भविष्य को सवांरने के लिए जिस रिटायरमेंट फंड ईपीएफओ में निवेश करते हैं वो अभी भी अडानी समूह की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज और अडानी पोर्ट्स में निवेश जारी रखे हुए है. और  सितंबर 2023 तक निवेश का सिलसिला जारी रहने वाला है. 


अडानी स्टॉक्स में निफ्टी 50 के ETF के जरिए निवेश 


एम्पलॉय प्रॉविडेट फंड आर्गनाइजेशन यानि ईपीएफओ जो संगठित क्षेत्र के करोड़ों कर्मचारियों के 27.73 लाख करोड़ रुपये रिटायरमेंट फंड को मैनेज करता है वो अपने कुल कॉर्पस का 15 फीसदी एनएसई निफ्टी और बीएसई सेंसेक्स से जुड़े एक्सचेंज ट्रेडेड फंड यानि ईटीएफ (Exchange Traded Fund) में निवेश करता है. ईपीएफओ किसी स्टॉक्स में सीधे निवेश ना करके ईटीएफ के जरिए शेयर बाजार में निवेश करता है. अडानी समूह की दो कंपनियां अडानी एंटरप्राइजेज और अडानी पोर्ट्स नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के इंडेक्स एनएसई निफ्टी में शामिल है. अडानी पोर्ट्स तो 2015 से एनएसई निफ्टी का हिस्सा है जबकि अडानी एंटरप्राइजेज सितंबर 2022 से निफ्टी में शामिल किया गया है. और एनएसई की सब्सिडियरी एसएसई इंडाइसेस ने अगले छह सितंबर 2023 तक अडानी समूह के दोनों स्टॉक को निफ्टी 50 में शामिल रखने का फैसला किया है. ऐसे में ईपीएफओ का पैसा जो निफ्टी के ईटीएफ में निवेश किया जाएगा वो पैसा अडानी एंटरप्राइजेज और अडानी पोर्ट्स में जाता रहेगा. 


EPFO का बाजार में 2 लाख करोड़ रुपये के करीब निवेश 


दि हिंदू के मुताबिक सेंट्रल प्रॉविडेड फंड कमिश्नर नीलम शमि राव ने अडानी समूह के स्टॉक्स में ईपीएओ के एक्सपोजर पर कोई जवाब नहीं दिया है. दि हिंदू ने उनसे ये भी सवाल किया गया था कि अडानी समूह के लेकर हिंडनहर्ग के रिसर्च रिपोर्ट के बाद फंड मैनेजर्स को अडानी समूह के स्टॉक्स में निवेश ना करने को लेकर क्या आदेश दिया गया है जिससे आम लोगों के रिटायरमेंट फंड को किसी प्रकार के नुकसान से बचाया जा सके. मार्च 2022 तक ईपीएफओ ने एक्सचेंज ट्रेडेड फंड के जरिए 1.57 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था. और एक अनुमान के तहत 2022-23 मे 38,000 करोड़ रुपये और निवेश किए गए हैं. सितंबर 2016 में ईपीएफओ ने कुल कॉर्पस का 10 फीसदी शेयर बाजार में निवेश का फैसला किया था जिसे 2017 में बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया गया. 


अडानी के स्टॉक में गिरावट का असर ईपीएफ रेट पर!


24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के सामने आने के बाद से अडानी समूह के स्टॉक्स में बड़ी गिरावट आई है. ऐसे में इसका असर 2022-23 के लिए ईपीएफओ के तय किए जाने वाले ब्याज दर पर भी असर डाल सकता है क्योंकि ईपीएफओ को ईटीएफ में किए जाने वाले निवेश पर रिटर्न घटेगा. 3 महीने में अडानी एंटरप्राइजेज के स्टॉक में 55 फीसदी की गिरावट आई है. तो अडानी पोर्ट्स के स्टॉक 23 फीसदी 3 महीने में नीचे आया है. 


विपक्ष के निशाने पर सरकार 


ईपीएफओ कॉर्पस के अडानी समूह के दो स्टॉक्स में निवेश जारी रखने को लेकर कांग्रेस समेत दूसरे राजनीतिक दल सरकार पर निशाना भी साध रहे हैं जो बीते कई दिनों से सरकार से अडानी मामले को लेकर जेपीसी के गठन की मांग कर रहे हैं. इस मामले को लेकर बजट सत्र के दूसरे चरण में एक दिन भी संसद नहीं चल सका है. पूर्व लोकसभा सांसद राहुल गांधी ने एक बार फिर मोदी सरकार पर हमला होलते हुए ट्विट किया है. 




 










सीबीटी की बैठक में उठेगा ये मुद्दा 


सोमवार 27 मार्च 2023 से ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की दो दिवसीय बैठक श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में हो रही है. माना जा रहा है सीबीटी के मेंबर जो अलग अलग मजदूर यूनियन के सदस्य हैं वो इस बैठक में अडानी समूह में निवेश का मुद्दा उठाने वाले हैं. इस बैठक में 2022-23 के लिए ईपीएफ रेट पर भी फैसला होने वाला है जो 2021-22 के लिए 8.1 फीसदी तय किया गया था. 


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