EPF Rate: 6 करोड़ ईपीएफओ खाताधारकों को राहत या आफत! मंगलवार को होगा 2022-23 के लिए ईपीएफ रेट का एलान
EPF Rate News: ईपीएफओ की बैठक दो दिनों तक चलेगी. जिसके बाद मंगलवार को बोर्ड बैठक के नतीजों का एलान होगा जिसमें ईपीएफ रेट भी शामिल है.
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EPF Rate For 2022-23: मंगलवार 28 मार्च तो वित्त वर्ष 2022-23 के लिए ईपीएफ रेट का एलान किया जा सकता है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) बोर्ड की दो दिवसीय बैठक 27 मार्च 2023 से शुरू हो रही है जो अगले दिन मंगलवार तक चलेगी. इस बैठक के बाद श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव 2022-23 के ईपीएफ रेट का एलान कर सकते हैं.
ईपीएफओ की इस बैठक में ईपीएफ रेट के अलावा, ईपीएफओ के एनुअल अकाउंट के साथ ही ज्यादा ईपीएस 1995 के तहत ज्यादा पेंशन पाने के लिए सु्प्रीम कोर्ट के कर्मचारियों को चार महीने के विकल्प देने पर लिए गए एक्शन को लेकर भी चर्चा की जाएगी. ईपीएफओ ने अपने सब्सक्राइबर्स को 3 मई, 2023 तक का विकल्प चुनने के लिए समय दिया है. साथ ही सीबीटी के सदस्य फंड का पैसा ईटीएफ के जरिए अडानी समूह के स्टॉक्स में लगाये जाने के मुद्दा भी बैठक में उठा सकते हैं. ईपीएफओ के ईपीएफ रेट पर फैसला लेने के बाद वित्त मंत्रालय से तय ब्याज दर को लेकर मंजूरी ली जाएगी.
233rd Meeting of Central Board of Trustees Employees’ Provident Fund on 27th and 28th March 2023 in New Delhi.#AmritMahotsav #EPFOwithyou #epf #epfo@PMOIndia @byadavbjp @Rameswar_Teli @LabourMinistry @PIB_India @PIBHindi @MIB_India @mygovindia @AmritMahotsav pic.twitter.com/BBWExULZBm
— EPFO (@socialepfo) March 27, 2023
ईपीएफओ एलआईसी के बाद सबसे बड़ी वित्तीय संस्था है जो सगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई को मैनेज करती है. कर्मचारियों अपने सैलेरी के बेसिक का वेतन 12 फीसदी इसमें योगदान करते हैं साथ ही एम्पलॉयर भी इतना ही रकम अपनी तरफ योगदान करता है. ईपीएफओ में जमा रकम कर्मचारियों के रिटायरमेंट, घर बनाने या खरीदे, बच्चों की शिक्षा और शादी से लेकर रिटायरमेंट पर काम आता है. एक अनुमान के मुताबिक ईपीएफओ के करीब 6 करोड़ सदस्य हैं और ईपीएफओ करोड़ों कर्मचारियों के 27.73 लाख करोड़ रुपये को मैनेज करती है.
बीते वर्ष 12 मार्च 2022 को ईपीएफओ बोर्ड ने 2021-22 के लिए ईपीएफ रेट को घटाकर 8.1 फीसदी करने का फैसला लिया था जो 43 साल में सबसे न्यूनत्तम ईपीएफ रेट था. ट्रेड यूनियन से लेकर राजनीतिक दलों ईपीएफ रेट घटाने के फैसले का जबरदस्त विरोध भी किया. 2020-21 में यह दर 8.5 फीसदी हुआ करती थी. तब सरकार ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा था किसी भी निवेश योजनाओं के मुकाबले ईपीएफ पर मिलने वाला ब्याज सबसे ज्यादा है साथ ही पोस्ट ऑफिस के सेविंग रेट के मुकाबले दोगुना है. 2019-20 में ईपीएफ रेट 8.5 फीसदी तो 2018-19 के लिए 8.65 फीसदी था.
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