ईपीएफओ ने नियोक्ताओं और कर्मचारियों के लिए नियमों में कुछ बदलाव किया है. नियमों में ताजे बदलाव से जहां कर्मचारियों को झटका लगा है, वहीं नियोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है. उसके बाद अब नियोक्ताओं यानी कंपनियों को कई मामलों में कम पेनल्टी का सामना करना होगा.


श्रम मंत्रालय ने बदलावों को किया नोटिफाई


कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के द्वारा नियोक्ताओं के लिए जिन नियमों में बदलाव किया गया है, वे कर्मचारियों के पीएफ, इंश्योरेंस, पेंशन आदि मदों में योगदान में डिफॉल्ट करने से जुड़े हैं. नियमों में इन बदलाव की जानकारी श्रम मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी कर दी. नोटिफिकेशन के अनुसार, अब अगर कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए पीएफ, पेंशन या बीमा में योगदान करने में डिफॉल्ट करते हैं तो उनके ऊपर कम पेनल्टी लगेगी.


आधी से भी कम हो गई पेनल्टी की दर


शनिवार को जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, ईपीएफओ की तीन स्कीम एम्पलॉइज पेंशन स्कीम (ईपीएस), एम्पलॉइज प्रोविडेंट फंड स्कीम (ईपीएफ) और एम्पलॉइज डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम (ईडीएलआई) में कर्मचारियों के लिए योगदान करने में अगर कंपनियां डिफॉल्ट करती हैं, तो अब उनके ऊपर बकाए के 1 फीसदी के बराबर मासिक या 12 फीसदी के बराबर सालाना पेनल्टी लगेगी. अभी तक इन तीनों स्कीम में डिफॉल्ट करने पर कंपनियों के ऊपर 25 फीसदी सालाना तक पेनल्टी लगाई जाती थी.


15 जून से लागू हो गए नए नियम


श्रम मंत्रालय ने कहा कि नियमों में किए गए ये बदलाव नोटिफिकेशन जारी करने की तारीख से लागू हो गए हैं. इसका मतलब हुआ कि कंपनियों के ऊपर डिफॉल्ट करने पर कम पेनल्टी के नियम शनिवार 15 जून से लागू हो गए हैं. नियमों में बदलाव से उन कंपनियों को खास तौर पर फायदा होने वाला है, जिनके डिफॉल्ट की अवधि लंबी हो रही थी.


ईपीएफओ ने बंद किया कोविड एडवांस


ईपीएफओ ने इसके अलावा एक अन्य बदलाव कर्मचारियों के लिए किया है. महामारी के बाद सभी कर्मचारियों के लिए ईपीएफओ ने कोविड एडवांस की सुविधा दी थी. अब ईपीएफओ ने कोविड एडवांस की सुविधा को बंद करने का फैसला लिया है. इस एडवांस फैसिलिटी के तहत पीएफ खाताधारक अचानक कोई वित्तीय जरूरत पड़ने पर पीएफ खाते से पैसे निकाल सकते थे. हालांकि पीएफ से पैसे निकालने की अन्य सुविधाएं पहले की तरह अभी भी काम करती रहेंगी.


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