नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में जून में नये पंजीकरण शुद्ध रूप से बढ़कर 6.55 लाख तक पहुंच गये. जबकि इस साल मई में यह संख्या 1.72 लाख ही रही थी. इन आंकड़ों से कोविड- 19 संकट के मौजूदा दौर में संगठित क्षेत्र में रोजगार की स्थिति का संकेत मिलता है. ईपीएफओ के नियमित वेतन रजिस्टर यानी ‘पेरोल’ आधारित इन ताजा आंकड़े से यह जानकारी सामने आई है.


पिछले महीने जारी अस्थायी पेरोल आंकड़े में मई में शुद्ध रूप से 3.18 लाख लोगों के पंजीकरण की बात कही गयी थी. इसे अब संशोधित कर 1,72,174 कर दिया गया है. ईपीएफओ के मई में जारी आंकड़े के अनुसार नये पंजीकरण की संख्या मार्च, 2020 में घटकर 5.72 लाख पर आ गई, जो फरवरी में 10.21 लाख थी.


गुरुवार को जारी ताजा आंकड़े के अनुसार अप्रैल में नये पंजीकरण केवल 20,164 रहे जबकि जुलाई में जारी अस्थायी आंकड़े में यह संख्या एक लाख थी.
शुद्ध रूप से ईपीएफओ के पास हर महीने औसतन करीब सात लाख नये पंजीकरण होते है. आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान नये अंशधारकों की कुल संख्या बढ़कर 78.58 लाख रही जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 61.12 लाख थी.


ईपीएफओ अप्रैल, 2018 से नये अंशधारकों के आंकड़े जारी कर रहा है. इसमें सितंबर 2017 से आंकड़ों को लिया गया है. ‘पेरोल’ आंकड़ों के अनुसार सितंबर, 2017 से जून 2020 के दौरान शुद्ध रूप से 1.63 करोड़ नये अंशधारक ईपीएफओ से जुड़े. ईपीएफओ के अनुसार ‘पेरोल’ आंकड़े अस्थायी है और कर्मचारियों के रिकार्ड का अद्यतन निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है. इसे बाद के महीनों में अद्यतन किया जाता है.


ये अनुमान शुद्ध रूप से नये सदस्यों के जुड़ने पर आधारित हैं. यानी जो लोग नौकरी छोड़कर गये, उन्हें इसमें हटा दिया गया. पुन: जो लोग दोबारा से जुड़े, उन्हें इसमें शामिल किया गया. ईपीएफओ ने यह भी कहा कि अनुमान में अस्थायी कर्मचारी शामिल हो सकते हैं जिनका योगदान हो सकता है पूरे साल जारी नहीं रहे. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के साथ जुड़े कुल अंशधारकों की संख्या छह करोड़ से अधिक है.


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