कोरोनावायरस संक्रमण ने लोगों के रोजगार पर भारी चोट की है. लगातार आ रहे आंकड़ों से इसकी पुष्टि हो रही है. मिंट की एक खबर में कहा गया है कि अक्टूबर में ईपीएफओ में रजिस्ट्रेशन कराने वाले कारोबारी प्रतिष्ठानों में भारी कमी आई है. सितंबर की तुलना में अक्टूबर में इसमें 30,800 की कमी आई है.  इसका मतलब यह है कि रोजगार नहीं बढ़ रहा है. ईपीएफओ कर्मचारियों के पीएफ का प्रबंधन करता है. इन आंकड़ों से साफ है कि कंपनियां कोरोना संक्रमण की मार से उबर नहीं पा रही हैं और इसकी वजह से वे लगातार कर्मचारियों को नौकरियों से निकाल रही हैं.


पेंशन फंड में भी योगदान घटा


मिंट ने ईपीएफओ के आंकड़ों के हवाले से खबर दी है कि सितंबर में ईपीएफओ में रजिस्टर्ड कंपनियों की संख्या 5,04,044 थी लेकिन सितंबर में यह घट कर 5,34,869 हो गई. मई के बाद ऐसा पहली बार हुआ है. मई के बाद हालात में सुधार हुए थे लेकिन अक्टूबर में इसमें गिरावट आ गई. ईपीएफ सदस्यों की संख्या भी घट गई है.यानी अब कम लोग ईपीएफ में योगदान कर रहे हैं. मिंट के आंकड़े में दिखाया गया है कि सितंबर की तुलना में पेंशन फंड में योगदान करने वालों की संख्या 18 लाख घट गई. सितंबर में इनकी संख्या 476.9लाख थी लेकिन अक्टबूर में यह घट कर 458.3 लाख रह गई. मिंट के मुताबिक अप्रैल में ईपीएफ में योगदान करने वालों की संख्या काफी घट गई थी. दरअसल भारी संख्या में लोगों की नौकरियां जाने के बाद ईपीएफ सदस्यों में यह कमी आई थी. हालांकि कुछ लोगों ने वेतन में कटौती के बाद ईपीएफ में योगदान बंद कर दिया था.


लागत घटाने के लिए भी कंपनियां नहीं कर रही हैं पीएफ में योगदान 


विश्लेषकों का मानना है कि ईपीएफओ में रजिस्टर्ड कंपनियों में इस बड़ी गिरावट से साफ है कि अर्थव्यवस्था की हालत खस्ता है. लेकिन इससे यह भी जाहिर है कि कंपनियां भारी मु्श्किल का सामना कर रही हैं. कहा जा रहा है कि कुछ कंपनियां नौकरियां दे रही हैं लेकिन पीएफ में योगदान नहीं कर रही हैं. लागत घटाने के लिए वे कर्मचारियों का पीएफ नहीं काट रही हैं.


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