ESIC के तहत फैमिली पेंशन और मुफ्त इलाज जैसी सुविधाएं कैसे लें, जानें प्रोसेस
ESI Scheme Benefits: ESI स्कीम के तहत कर्मचारी को रोजगार के पहले दिन से ही योजना का लाभ मिलना शुरू हो जाता है, इसमें बीमारी में मुफ्त इलाज से लेकर पेंशन तक की सुविधा शामिल है.
ESI Benefits: कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) योजना से जुड़े कर्मचारी व उनके परिवार को कई तरह के फायदे मिलते हैं, जिनके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं.
मेडिकल बेनिफिट्स
रोजगार में प्रवेश करने के पहले दिन से ही बीमित कर्मचारी और उनके परिवार को चिकित्सा लाभ की सुविधा दी जाती है.
बीमारी में लाभ
इसमें कर्मचारी अगर बीमार है और काम करने में असमर्थ है, तो उसे अपनी सैलरी का 70 फीसदी तक भुगतान किया जाता है.
गर्भावस्था में लाभ
ESI के तहत महिला कर्मचारी को गर्भावस्था के दौरान 26 हफ्ते तक 100 फीसदी दैनिक मजदूरी देना होता है. गर्भपात की स्थिति में छह हफ्ते तक यह लाभ मिलता है. बच्चा एडॉप्ट करने की स्थिति में यह लाभ 12 हफ्ते तक मिलता है. यानी कि 12 हफ्ते तक की दैनिक मजदूरी 100 फीसदी मिलती है.
विकलांगता में लाभ
इंश्योर किया गया कर्मचारी अगर काम करने के दौरान लगी चोट से शारीरिक रूप से विकलांग हो जाता है, तो उसे अपनी सैलरी का 90 फीसदी मुआवजे के रूप में दिया जाता है. वहीं परमानेंट डिसेबिलिटी की स्थिति में पूरी जिंदगी पेंशन का भुगतान किया जाता है.
आश्रितों को लाभ
अगर बीमित व्यक्ति की रोजगार के दौरान मौत हो जाती है तो ESI के तहत उसके आश्रितों को जीवनभर एक नियत अनुपात में पेंशन का भुगतान किया जाता है.
बेरोजगारी भत्ता
इसमें अगर बीमित कर्मचारी को रोजगार से अलग किसी प्रकार की चोट लगती है और वह स्थायी रूप से डिसेबल हो जाता है, तो इस स्थिति में उसे 24 महीने तक नकद मासिक भत्ता मिलता है.
वोकेश्नल ट्रेनिंग
अगर कर्मचारी अपने किसी कौशल को सुधारने के मकसद से व्यवसायिक प्रशिक्षण लेता है, तो ईएसआई के तहत उसकी ट्रेनिंग की फीस और ट्रैवल में लगने वाले चार्ज का वहन किया जाता है. इतना ही नहीं, इसमें मृतक कर्मचारी के अंतिम संस्कार के लिए खर्च भी उठाया जाता है.
ESI के तहत कर्मचारियों की सेहत की देखभाल और उन्हें चिकित्सा लाभ दिलाने के मकसद से व्यावसायिक रोग केंद्र भी स्थापित किए जाते हैं. इसके लिए अपने नजदीकि किसी ESI अस्पताल से संपर्क कर सकते हैं. ईएसआई में कर्मचारी और एम्प्लॉयर दोनों मिलकर योगदान करते हैं, जो कर्मचारी की सैलरी के आधार पर तय किया जाता है. एम्प्लायर कर्मचारी को दी जाने वाली सैलरी का 3.25 फीसदी कंट्रीब्यूट करता है, जबकि 176 रुपये तक दिहाड़ी कमाने वालों को छोड़कर अन्य अपने वेतन का 0.75 फीसदी योगदान देते हैं.
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