बड़ी इंटरनेट कंपनियों के खिलाफ ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन ने अपना रुख कड़ा कर लिया है. फेसबुक, अमेजन, गूगल, ऐपल, ट्विटर जैसी कंपनियों ने अब अपनी कंपीटिटर कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्द्धा के दौरान गलत तरीका अपनाया या फिर अपने प्लेटफॉर्म पर यूजर की प्राइवेसी को बचाने में नाकाम रहीं तो उन्हें भारी जुर्माने का सामना करना होगा.


ईयू ने दो कड़े कानून लागू किए 


यूरोपियन यूनियन ने अपने बहुप्रतीक्षित डिजिटल रेग्यूलेशन को लागू कर दिया है वहीं ब्रिटिश सरकार ने ऑनलाइन पर नुकसानदेह कंटेंट को रेगुलेट करने के अपने नियम जारी किए हैं. इससे ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन के देशों में इंटरनेट कंपनियों के रेगुलेशन का नया दौर शुरू होगा. ईयू डिजिटल गेटकीपर के तौर पर उभरना चाहता है.


बड़ी इंटरनेट कंपनियां यहां लंबे समय तक कारोबारी कंपनियों को उनके अपने ही डेटा तक पहुंचने में अड़चनें पैदा करती रही हैं. इसके साथ ही वे ग्राहकों को ऐसी स्कीम में लॉक कर ही थीं कि उनक स्विच करना मुश्किल होता है. इसके अलावा आपत्तिजनक कंटेंट प्रसारित करने और प्राइवेसी हनन की वजह से वे निशाने पर हैं. नए नियमों को डिजिटल मार्केट एक्ट कहा जा रहा है. यह एक्ट डिजिटल गेटकीपर कंपनियों की परिभाषा तय करेगा. अगर बड़ी इंटरनेट कंपनियों ने नियमों का उल्लंघन किया तो उनके कुल ग्लोबल रेवेन्यू के दस फीसदी तक जुर्माना लगाया जा सका है.


फेसबुक, ट्विटर को आ सकती हैं मुश्किलें 


रेगुलेशन से जुड़े कुछ दूसरे नियमों को डिजिटल सर्विसेज एक्ट कहा जा रहा है . इस कानून के दायरे में साढ़े करोड़ से ज्यादा यूजर वाले प्लेटफॉर्म को शामिल किया गया है. इन प्लेटफॉर्म को अब राजनीतिक विज्ञापनों का ब्योरा भी देना होगा. अब फेसबुक, ट्विटर जैसी सोशल मीडिया कंपनियों पर नियम उल्लंघन के मामलों में उनकी ग्लोबल कमाई के दस फीसदी तक जुर्माना लगाया जा सकता है.


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