(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Form-16 के बिना भी इस तरह फाइल कर सकते हैं इनकम टैक्स रिटर्न
कोरोना महामारी के दौरान लाखों लोगों की नौकरी चली गई. अब वे लोग कन्फ्यूज हैं कि इनकम टैक्स रिटर्न कैसे फाइल करें. इस समस्या का भी आसान समाधान है, बस आपको कुछ आसान स्टेेप्स अपनाने होंगे.
इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) फाइल करना काफी जरूरी होता है. इसकी आखिरी तारीख 31 दिसंबर है. हालांकि कोरोना महामारी के चलते इस साल करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गईं, ऐसे में अगर वे फॉर्म-16 (Form-16) के बिना ITR फाइल करने की सोच रहे हैं, तो आप बिलकुल सही हैं. क्या आप जानतें हैं कि फॉर्म-16 के बिना भी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया जा सकता है. आपको बताएंगे कि आसान तरीका अपनाकर आप बिना फॉर्म-16 के अपना आईटीआर फाइल कर सकते हैं.
दरअसल फॉर्म-16 वह दस्तावेज होता है, जो कंपनी किसी एम्प्लॉई को देती है और इसमें उसकी सैलरी से लेकर भत्तों की पूरी डिटेल होती है. इसी का इस्तेमाल कर एम्प्लॉई अपना टैक्स फाइल करते हैं. जब कंपनी आपको अचानक से निकाल दे या आप किसी इमरजेंसी में बिना प्रोसेस फॉलो किए कंपनी छोड़ देते हैं, तब आपको यह फॉर्म नहीं मिलता. कोरोना महामारी में लाखों लोगों के साथ इसी तरह की परेशानी आ रही है.
बिना फॉर्म-16 के ऐसे फाइल करें ITR
1. अगर आपके पास फॉर्म-16 नहीं है, तब भी परेशान होने की जरूरत नहीं है. आप अपनी पिछली सैलरी स्लिप इकट्ठी कर लें. इसी से आपकी ग्रॉस सैलरी का पता चल पाएगा. ध्यान रखने वाली बात यह है कि आपकी नेट टैक्सेबल इनकम में आपके पीएफ का हिस्सा शामिल होता है न कि कंपनी का हिस्सा. आप अपने बीमा समेत कुछ निवेश को टैक्स से बाहर रखकर अपनी इनकम पता कर सकते हैं.
2. दूसरे स्टेप में आपको कटे हुए TDS का भी हिसाब लगाना होगा. इसके लिए Form 26A S देखना पड़ेगा. इस फॉर्म में आपके टीडीएस का ब्योरा होता है. यह मैच करना भी जरूरी होता है कि जितना टैक्स आपकी सैलरी स्लिप में है, वह फॉर्म 26 एएस के बराबर होनी चाहिए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो रिटर्न फाइल करने में दिक्कत आ सकती है. हालांकि इस बारे में आप अपने पुरानी कंपनी के एचआर से बातचीत कर समाधान निकाल सकते हैं.
3. आपको मिलने वाली सैलरी में कई तरह के अलाउंस यानी भत्ते शामिल होते हैं, जिन पर कोई टैक्स नहीं लगता. इन भत्तों में मकान का किराया, आने-जाने का खर्च, मेडिकल भत्ता आदि होते हैं. इन सब पर टैक्स नहीं लगता. ऐसे में आप इन सबको सैलरी से घटाकर कैलकुलेशन करें. साथ ही 1.50 लाख रुपए तक के इन्वेस्टमेंट पर भी टैक्स छूट क्लेम करें.
4. इन सबको कैलकुलेट करके आपके सामने वह इनकम आ जाएगी, जिस पर आपको टैक्स देना होगा. इस इनकम पर आप आईटीआर फाइल कर दें. आईटीआर फाइल करने के बाद ई-वेरिफिकेशन कराना भी जरूरी होता है.