नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व व काफी पॉपुलर रहे गवर्नर रघुराम राजन की किताब अगले महीने बाजार में आ जाएगी. पूर्व आरबीआई गवर्नर राजन के आर्टिकल्स और भाषणों पर आधारित किताब अगले महीने से बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध होगी. पब्लिशिंग हाउस हार्परकोलिंस इंडिया द्वारा प्रकाशित यह किताब ‘आई डू व्हाट आई डू: ऑन रिफार्म, रेटोरिक एंड रिसोल्व’ 4 सितंबर से बिक्री के लिए उपलब्ध होगी.


क्या होगा राजन की किताब में?
रघुराम राजन की ये किताब 5 सितंबर को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में और उसके बाद 7 सितंबर को राजधानी दिल्ली और 8 सितंबर को आर्थिक राजधानी मुंबई में लॉन्च की जाएगी. दिलचस्प है कि राजन की ये किताब उनके आरबीआई गवर्नर का पद छोड़ने के ठीक एक महीने बाद आ रही है. रघुराम राजन ने 4 सितंबर को आरबीआई गवर्नर का पद छोड़ा था. आपको बता दें कि राजन इससे पहले भी दो किताबें लिख चुके हैं.


किताब का सार
किताब में रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में राजन के कई जगह छपे-पढ़े गए आर्टिकल्स और भाषणों को शामिल किया गया है. किताब में रघुराम राजन ने अर्थव्यवस्था के जटिल सिद्धांतों के बारे में काफी आसान तरीके से लिखा है. उन्होंनें अपनी किताब में ऐसे मुद्दों को भी उठाया है जो किसी बैंकिंग मैन्यूल में तो नहीं मिलेंगे पर देश के विकास के लिए बेहद जरूरी हैं. अपनी इस किताब में राजन ने सहिष्णुता और राजनीतिक आजादी और संपन्नता के बीच संबंध जैसे मुद्दों पर बात बात की है जो देश के आर्थिक विकास के लिए भी बेहद जरूरी हैं.


रघुराम राजन का कार्यकाल
रघुराम गोविंद राजन साल 2013 से 2016 के तौर पर आरबीआई गवर्नर के तौर पर कार्यरत रहे. उल्लेखनीय है कि राजन ने सितंबर 2013 में जब गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला तो रुपया लगातार गिर रहा था, महंगाई दर ऊंची थी, चालू खाते का घाटा बड़ा था जबकि विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आ रही थी. ऐसे मुश्किल समय में आरबीआई गवर्नर का पद संभालने के बावजूद राजन ने अपनी मजबूत नीतियों को सिर्फ अल्पकालिक राहतों के लिए इस्तेमाल नहीं किया बल्कि उन्होंनें जो कदम लिए वो देश की आर्थिक हालात को लंबे समय के लिए पटरी पर लाने वाले साबित हुए.


कई बार हुए विवादों के शिकार
हालांकि पूर्व आरबीआई गवर्नर राजन अपने कार्यकाल के अंतिम साल के दौरान खासे विवाद में रहे. राजन ने एक बयान में भारतीय इकोनॉमी की तेज रफ्तार को अंधों में काना राजा कहा था जिसकी वित्त मंत्री अरुण जेटली समेत कई नेताओं ने खासी आलोचना की थी. वहीं बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया था कि राजन मानसिक तौर पर पूरी तरह भारतीय नहीं है और उन्होंने जानबूझकर अर्थव्यवस्था को ध्वस्त किया है. स्वामी का आरोप था कि महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने का आइडिया अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी साबित हुआ. स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर उन्हें बर्खास्त करने की मांग तक की थी.


रघुराम राजन का जीवन परिचय
रघुराम राजन का जन्म 3 फरवरी 1963 को हुआ था और भारतीय रिजर्व बैंक के 23वें गवर्नर के तौर पर 4 सितम्बर 2013 को पदभार ग्रहण किया था. डी॰ सुब्बाराव की रिटायरमेंट के बाद उन्होंने ये पद संभाला था. इससे पूर्व वह प्रधानमन्त्री, मनमोहन सिंह के प्रमुख आर्थिक सलाहकार और शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में एरिक जे ग्लीचर फाईनेंस के गणमान्य सर्विस प्रोफेसर थे. 2003 से 2006 तक वे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रमुख अर्थशास्त्री व अनुसंधान निदेशक रहे और भारत में वित्तीय सुधार के लिये योजना आयोग द्वारा नियुक्त समिति का नेतृत्व भी किया



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