Explained: फेडरल रिजर्व ने की ब्याज दरों में बढ़ोतरी, जानें अमेरिका से लेकर भारत पर कैसा होगा असर
Federal Reserve Hike Interest Rates: फेडरल बैंक के ब्याज दर बढ़ाने से डॉलर की कीमत बढ़ सकती है और इसके मुकाबले रुपये की कीमत घटने का अंदेशा है जिसका असर भारत के आयात खर्च पर पड़ेगा.
Federal Reserve Hike Interest Rates: जैसा कि अंदेशा था, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने एक बार फिर ब्याज दरों में इजाफा कर दिया है. अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की है जिसके पीछे बढ़ती महंगाई को काबू में रखने की वजह बताई गई है. हालांकि अमेरिका में ये फैसला वहां के बैंकों के लिए ब्याज दरें बढ़ाने का कारण बनेगा लेकिन इसका असर भारत पर कैसे आएगा ये आप यहां जान सकते हैं.
भारत के बाजार और करेंसी पर कैसा होगा असर
अमेरिकी फेडरल बैंक के ब्याज दरों में इजाफा करने का असर भारतीय रुपये पर देखा जाएगा और ये अधिक नीचे जा सकता है. डॉलर के मुकाबले रुपया पहले ही 80 पये प्रति डॉलर के सबसे निचले स्तर को छू चुका है. ऐसे में अमेरिकी बैंक का दरें बढ़ाने का कदम भारत की मुश्किलें बढ़ा सकता है.
आरबीआई को ब्याज दरें बढ़ाने के लिए सोचना पड़ेगा
आने वाली 3 से 5 अगस्त के बीच भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक होने वाली है जिसके बाद आरबीआई क्रेडिट पॉलिसी का एलान करेगा. इस बार भी आरबीआई के दरों में बढ़ोतरी करने की आशंका और गहरा गई है. इसके पीछे फेड के फैसले को भी कारण माना जा सकता है. अगर आरबीआई ने रेपो रेट समेत अन्य नीतिगत दरें बढ़ाईं तो देश के बैंकों को भी लोन की दरें बढ़ानी पड़ेंगी. इसका सीधा सीधा असर आप के लोन की ईएमआई पर आएगा और वो बढ़ सकती हैं.
भारत का इंपोर्ट का खर्च भी बढ़ेगा
फेडरल बैंक के ब्याज दर बढ़ाने से डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत घट सकती है जिसका असर भारत के आयात खर्च पर पड़ेगा. डॉलर महंगा होने से भारत का इंपोर्ट का खर्च बढ़ेगा और देश का व्यापार घाटा और ज्यादा बढ़ सकता है जिसमें हाल के दिनों में तेजी देखी गई है. देश का व्यापार घाटा बढ़ने से सरकार को इस दिशा में कुछ कदम उठाने होंगे जिनका असर कमोडिटी और अन्य वस्तुओं के आयात पर आ सकता है.
इंडियन स्टॉक मार्केट से एफआईआई की निकासी बढ़ सकती है
फेड के दरें बढ़ाने के बाद से डॉलर के रेट में तेजी आएगी और विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय बाजार की तुलना में अमेरिकी बाजार या डॉलर आधारित बाजारों में निवेश करना ज्यादा फायदे का सौदा होगा. लिहाजा वो भारत के शेयर बाजार की तुलना में यूएस मार्केट या अन्य बाजारों में ज्यादा निवेश करेंगे. भारत में निवेश घटाने से देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी कम होने का खतरा पैदा हो जाएगा
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