देश के निर्यात में अक्टूबर की तुलना में नवंबर में और ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है. अक्टूबर में निर्यात 5.12 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी लेकिन न नवंबर में यह 8.74 गिर कर 23.52 करोड़ डॉलर के मूल्य के बराबर पहुंच गया. नवंबर में पेट्रोलियम प्रोडक्ट, इंजीनियरिंग के सामान, केमिकल और जेम्स-एंड ज्वैलरी के निर्यात में काफी ज्यादा गिरावट दर्ज की गई.


व्यापार घाटा दस महीने के उच्चतम स्तर पर 


नवंबर में निर्यात में जो गिरावट दर्ज की गई वह इस महीने की शुरुआत में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से लगाए गए 9.07 फीसदी की गिरावट से कम है. सरकार ने जो आंकड़े पेश किए हैं, उनके मुताबिक व्यापार घाटे दस महीने के उच्चतम स्तर यानी 9.87 अरब डॉलर पर पहुंच गया. हालांकि यह 2019 के नवंबर महीने के 12.75 डॉलर के व्यापार घाटे से 23 फीसदी कम है. निर्यात में कमी के बारे में फियो के प्रेसिडेंट शरद कुमार सर्राफ ने कहा कि सप्लाई में आने वाली अड़चनों, कंटेनर की ढुलाई और पेट्रोलियम प्रोडक्ट में गिरावट की वजह से निर्यात में कमी आई है. पेट्रोलियम प्रोडक्ट के दाम में गिरावट की वजह से भी निर्यात पर असर पड़ा है. सर्राफ ने कहा कि निर्यात पर किसान आंदोलन का भी असर हुआ है. हालांकि सेरेमिक, फार्मास्यूटिकल्स प्रोडक्ट, कालीन और हैंडीक्राफ्ट के निर्यात में इजाफा दर्ज किया गया है. आगे भी इन चीजों के निर्यात बढ़ने की संभावना क्योंकि इनके ऑर्डर में इजाफा दिख रहा है.


दुनिया भर में कोविड प्रतिबंधों की वजह से निर्यात को झटका 


इक्रा की प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट अदिति नैयर ने कहा कि दुनिया में नए सिरे से व्यापार प्रतिबंध लगाए जा रहे है. इस वजह से भी निर्यात को झटका लगा है. इससे व्यापार घाटा बढ़ कर 10 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है. नैयर का कहना है कि यूरोप समेत दुनिया भर में भारत कई ट्रेडिंग पार्टनर्स देशों में नए सिरे से कोविड प्रतिबंध लग रहे हैं. इसलिए निर्यात में गिरावट दर्ज की जा रही है. इस बीच नवंबर में आयात में 13.32 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह 33.39 अरब डॉलर तक नीचे चला आया है.


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