External Debt on India: भारत का विदेशी कर्ज (External Debt) पिछले एक साल में बढ़ गया है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार को बताया कि यह आंकड़ा मार्च, 2024 के अंत तक 39.7 अरब डॉलर बढ़कर 663.8 अरब डॉलर हो गया है. हालांकि, इस बढ़त के बावजूद देश की जीडीपी में विदेशी कर्ज की हिस्सेदारी घटकर 18.7 फीसदी रह गई है. मार्च, 2023 के अंत तक यह आंकड़ा लगभग 19 फीसदी था.


अमेरिकी डॉलर भारत के विदेशी कर्ज का सबसे बड़ा कंपोनेंट


आरबीआई के अनुसार, मार्च 2024 के अंत में 53.8 फीसदी हिस्सेदारी के साथ अमेरिकी डॉलर भारत के विदेशी कर्ज का सबसे बड़ा कंपोनेंट बना हुआ है. इसके बाद भारतीय रुपया लगभग 31.5 फीसदी, येन 5.8 फीसदी, एसडीआर 5.4 फीसदी और यूरो विदेशी कर्ज में लगभग 2.8 फीसदी हिस्सेदारी रखते हैं. इसके अतिरिक्त विदेशी कर्ज में लोन 33.4 फीसदी हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़ा कंपोनेंट बना हुआ है. इसके बाद करेंसी और डिपॉजिट 23.3 फीसदी, ट्रेड क्रेडिट और एडवांस 17.9 फीसदी और सिक्योरिटीज 17.3 फीसदी रहे हैं. 


डॉलर के मूल्य में बढ़ोतरी से वैल्यूएशन इफेक्ट 8.7 अरब डॉलर रहा


रिजर्व बैंक ने कहा कि अगर वैल्यूएशन इफेक्ट को हटा दिया जाए तो विदेशी कर्ज 39.7 अरब डॉलर के बजाय 48.4 अरब डॉलर बढ़ जाएगा. वैल्यूएशन इफेक्ट (Valuation Effect) में विदेशों में मौजूद एसेट की वैल्यू देखी जाती है. साथ ही विदेशी निवेशकों के पास मौजूद डॉमेस्टिक एसेट की वैल्यू भी इसमें आंकी जाती है. आरबीआई ने अपने बयान में कहा कि रुपये (Rupee), येन (Yen), यूरो (Euro) और एसडीआर (SDR) की डॉलर (US Dollar) के मुकाबले कमजोरी के चलते वैल्यूएशन इफेक्ट 8.7 अरब डॉलर रहा. 


जनरल गवर्नमेंट डेट सालाना आधार पर 11.5 फीसदी बढ़ गया


आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च, 2024 तक जनरल गवर्नमेंट डेट सालाना आधार पर 11.5 फीसदी बढ़ गया. दूसरी ओर हाउसहोल्ड और नॉन प्रॉफिट इंस्टीटूशंस के डेट में 16.5 फीसदी की गिरावट आई है. रिजर्व बैंक के डेटा से पता चलता है कि कुल विदेशी कर्ज में नॉन फाइनेंशियल कॉर्पोरेशंस के बकाया लोन की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 37.4 फीसदी थी. इसमें जनरल गवर्नमेंट हिस्सेदारी 22.4 फीसदी थी.


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