(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Poverty in India: भारत में गरीबी हुई कम, 2011-19 के बीच 12.3 फीसदी घटी अत्यंत गरीबों की संख्या
Poverty Rate in India: भारत में अत्यंत गरीबों की संख्या घटी है. साल 2011 से 2019 के बीच अत्यंत गरीबों की संख्या में 12.3 फीसदी की कमी आई है.
Poverty Rate in India: भारत में अत्यंत गरीबों की संख्या घटी है. साल 2011 से 2019 के बीच अत्यंत गरीबों की संख्या में 12.3 फीसदी की कमी आई है और इस मामले में शहरी केंद्रों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों का प्रदर्शन बेहतर रहा है. World Bank ने इस बारे में रिपोर्ट जारी कर जानकारी दी है.
लंबे समय बाद जारी हुआ अनुमान
अर्थशास्त्री सुतीर्थ सिन्हा रॉय और रॉय वैन डेर वेइड ने कहा कि देश ने एक दशक से अधिक समय से गरीबी और असमानता का कोई आधिकारिक अनुमान जारी नहीं किया है. परिवारों के उपभोग पर आधारित सर्वे NSS ने 2011 में जारी किया था.
गरीबों को मिल रहा फ्री अनाज
इससे पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के एक डॉक्युमेंट में कहा गया था कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना ने महामारी से प्रभावित 2020 में अति गरीबी को 0.8 फीसदी के निचले स्तर पर बरकरार रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. इस योजना के तहत गरीबों को राशन की दुकानों से मुफ्त अनाज दिया जा रहा है.
पिछले दशक में कम हुई गरीबी
‘भारत में गरीबी पिछले दशक में कम हुई है, लेकिन सोच के मुकाबले कम’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी की दर में कमी शहरी केंद्रों के मुकाबले अधिक है.’’ लेखकों का कहना है कि नोटबंदी के दौरान शहरी गरीबी 2016 में दो फीसदी बढ़ी और उसके बाद उसमें तेजी से कमी आई. गांवों में गरीबी 2019 में 0.1 फीसदी बढ़ी जिसका वजह से आर्थिक वृद्धि में नरमी है.
आंकड़े जारी कर दी जानकारी
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘राष्ट्रीय लेखा खातों में खपत में वृद्धि और सर्वेक्षण आंकड़ों के आधार पर गरीबी को लेकर हमारे अनुमान में पूर्व में जतायी गयी संभावनाओं के मुकाबले अधिक सतर्कता बरती गयी है.’’ इसमें कहा गया है कि 2015-2019 के दौरान गरीबी में कमी पूर्व के अनुमान से कम होने का अनुमान है जो निजी अंतिम खपत व्यय में वृद्धि पर आधारित है.
जोत वाले किसानों की आय में ज्यादा इजाफा हुआ
लेखकों ने यह भी कहा कि उनके विश्लेषण में खपत के मामले में असमानता बढ़ने का कोई सबूत नहीं पाया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, छोटे जोत वाले किसानों की आय में वृद्धि अधिक हुई है. दो सर्वेक्षण दौर के बीच इन किसानों की वास्तविक आय सालाना आधार पर 10 फीसदी बढ़ी है. वहीं, बड़े जोत वाले किसानों की आय में इस दौरान दो फीसदी की वृद्धि हुई है. इसमें कहा गया है कि गांवों में जिस परिवार के पास खेतों का आकार छोटा है, उनके अन्य के मुकाबले गरीब होने की आशंका अधिक है.