Bank Cash transaction Rules: ग्राहकों को अब पैसा निकालने के लिए अपने पहचान को वेरिफाई करने के जरिए ही काम हो जाएगा. इसके लिए फेस अथेंटिफिकेशन और आंखों का आइरिस स्कैन किया जा सकता है. कुछ बैंक ऐसा करने का प्लान कर रहे हैं. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक कैश ट्रांजैक्शन में सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए फैसला ले सकते हैं. साथ ही इससे टैक्स चोरी भी रुकेगी.
कुछ प्राइवेट सेक्टर और पब्लिक सेक्टर के बैंक इसे लागू करने जा रहे हैं. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार कुछ ट्रांजैक्शन में एनुअल सीमा से अधिक लेनदेन के लिए सरकार ने बैंकों को आइरिस स्कैन और फेस अथेंटिफिकेशन की अनुमति दे दी है. साथ ही कुछ बड़े लेनदेन के लिए भी चेहरे की पहचान करने और आंखों का स्कैन करने के लिए कहा है.
अनिवार्य नहीं वेरिफिकेशन
एक बैंकर ने जानकारी दी कि सत्यापन की अनुमति देने वाली सलाह सार्वजनिक नहीं है और पहले इसकी सूचना नहीं दी गई है. वेरिफिकेशन अनिवार्य नहीं है, लेकिन अगर पैन कार्ड नहीं दिया गया है तो आप बिना वेरिफिकेशन कराए लेनदेन नहीं कर पाएंगे. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक साइबर कानून विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने बताया कि बैंकों द्वारा चेहरे की पहचान का उपयोग करने की संभावना से कुछ गोपनीयता विशेषज्ञ चिंतित हैं.
20 लाख रुपये से ज्यादा पैसे निकालने पर लागू हो सकता है ये नियम
सरकार ने कहा है कि वह 2023 तक एक नए गोपनीयता कानून लाने की कोशिश कर रही है. दो सरकारी अधिकारियों ने कहा कि नए उपायों का इस्तेमाल एक वित्तीय वर्ष में 20 लाख रुपये से अधिक जमा और निकासी करने वाले व्यक्तियों की पहचान को वेरिफाई करने के लिए किया जा सकता है. चाहे आपने आधार कार्ड पहले ही दिया हो.
वित्त मंत्रालय ने क्या दी जानकारी
दिसंबर में वित्त मंत्रालय ने बैंकों से यूआईडीएआई के एक पत्र पर आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहा था. मंत्रालय ने कहा था कि वेरिफाई चेहरे की पहचान और आईरिस स्कैनिंग से की जानी चाहिए. खासकर जहां किसी व्यक्ति का फिंगरप्रिंट प्रमाणीकरण फेल हो जाता है. यूआईडीएआई की ओर से कहा जाता है कि अगर कोई ग्राहक मना करता है तो बैंक कोई कार्रवाई कर सकते हैं.
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