लॉकडाउन में बड़े पैमाने पर छंटनी, वेतन कटौती और बेरोजगारी का असर लोगों के बैंक अकाउंट पर पड़ा है. सैलरी न आने की वजह से अकाउंट खाली हो गए हैं. उनके पास कैश नहीं है. ऐसे में ओवरड्राफ्ट की सुविधा लोगों की राहत दिला सकती है.


ओवरड्राफ्ट सुविधा क्या है?


दरअसल ओवरड्राफ्ट सुविधा आपको अतिरिक्त पैसे देने का एक माध्यम है. कई बैंक शुरू में ही ओवरड्राफ्ट की सुविधा अपने ग्राहकों को दे देते हैं. यह एक तरह का लोन है लेकिन यह पर्सनल या दूसरे लोन की तुलना में सस्ता होता है. ज्यादातर बैंक सैलरी अकाउंट, करंट अकाउंट, एफडी आदि के एवज में यह सुविधा देते हैं. कुछ बैंक शेयर, बॉन्ड और बीमा पॉलिसी जैसी संपत्ति को गिरवी रख कर ओवरड्राफ्ट की सुविधा देते हैं. इसके तहत बैंक से आप अपनी जरूरत भर पैसा लेते हैं और बाद में लौटा देते हैं.


 ओवरड्राफ्ट सुविधा से कितना कैश मिल सकता है?


सैलरी या करंट अकाउंट हो तो ओवर ड्राफ्ट लेने में सुविधा होती है. अपने बैंक में आपका एफडी अकाउंट हो तो यह सुविधा मिल सकती है. अगर एफडी नहीं हो तो कोई असेट गिरवी रख कर लोन ले सकते हैं. आरबीआई के नियमों के मुताबिक करंट अकाउंट या कैश क्रेडिट अकाउंट होल्डर हर सप्ताह 50 हजार रुपये का ओवरड्राफ्ट ले सकते हैं. बैंक इस सुविधा का चार्ज भी लेते हैं. चाहें आप लें या इसे हटा दें.


सैलरी अकाउंट में कस्टमर की सैलरी अकाउंट के वेतन का आधा ओवरड्राफ्ट मिल सकता है. क्रेडिट हिस्ट्री या अकाउंट वैल्यू के आधार पर वेतन का तीन गुना तक भी ओवरड्राफ्ट मिल सकता है. इसमें एफडी जैसे टर्म डिपोजिट, रेकरिंग डिपोजिट आदि शामिल हैं. जनधन खाते पर भी 5000 रुपये तक ओवरड्राफ्ट मिलता है लेकिन पिछले छह महीनों में अकाउंट में संतोषजनक ट्रांजेक्शन जरूर हुआ हो.


क्रेडिट कार्ड या दूसरे पर्सनल लोन की तुलना में ओवरड्राफ्ट पर इंटरेस्ट कम है. इसमें सिर्फ आपको उतने ही वक्त का ब्याज देना होता है, जितने वक्त के लिए आप ओवरड्राफ्ट लेते हैं.