किसान आंदोलन का असर कारोबार और सप्लाई चेन पर दिखने लगा है. कच्चे माल की सप्लाई कम होने से मैन्यूफैक्चरिंग यूनिटों में काम धीमा हुआ है. पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के कई मैन्यूफैक्चरर्स का कहना है किसान आंदोलन की वजह से प्रोडक्शन में गिरावट आई है. कुछ बिजनेस संगठनों का कहना है कि पिछले डेढ़ महीनों में उनके सदस्यों कारोबार लगभग 50 फीसदी गिरा है.


ऑर्डर की डिलीवरी में मुश्किल 


कुछ कंपनियों का कहना है कि ऑर्डर के बावजूद डिलीवरी नहीं हो पा रही है. कच्चे माल की सप्लाई में कमी आ रही है. ट्रांसपोर्टर हर ट्रिप के तीन से पांच हजार रुपये बढ़ा कर ले रहे हैं. कच्चा माल गोदामों में पड़े हैं. इससे लागत बढ़ी है. लेकिन चीजें पुरानी कीमत पर ही डिलीवरी करनी पड़ रही है. जाम और आंदोलन की वजह से कर्मचारी फैक्टरियों में नहीं पहुंच पा रहे हैं. हर दिन छह-सात घंटे आने-जाने में ही लग रहे हैं. काम घटने से अब हर दूसरे दिन कामगारों को बुलाया जा रहा है.


पंजाब में मोबाइल टावरों पर हमला 


इस बीच किसान आंदोलन के दौरान पंजाब में टेलीकॉम टावरों पर हुए हमलों की टेलीकॉम कंपनियों, टावर कंपनियों और इंडस्ट्री चैंबर्स ने कड़ी निंदा की है. पंजाब में कम से कम 1600 टावरों को निशाना बनाया गया है. कंपनियों ने टावरों के साथ-साथ कर्मचारियों की भी सुरक्षा मांग है. नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने पंजाब में करीब 1600 मोबाइल टावरों को निशाना बनाया. तोड़फोड़ हुई, टावरों की बिजली और ऑप्टिकाल फाइबर काट दिए गए और जनरेटर्स को भी जला दिया गया. एसोचैम ने पंजाब के मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर कहा है ये पंजाब की प्रतिष्ठा के लिए एक झटका है. ऐसी घटना से देसी और विदेशी निवेशक राज्य से दूर होंगे.


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