एफडीआई और एफपीआई की बदौलत 3 जुलाई को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ कर 513.25 अरब डॉलर पर पहुंच गया. एक सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 6.4 अरब डॉलर का इजाफा हुआ है. विदेशी मुद्रा भंडार में यह इजाफा फॉरन पोर्टफोलियो इनवेस्टर, एफडीआई की वजह से हुआ है. आयात में कमी की वजह से भी विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी दिख रही है.
आरबीआई के डेटा के मुताबिक मार्च और अप्रैल में 6.2 अरब डॉलर एफडीआई के माध्यम से आया. जून में फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स की ओर से 3.5 अरब डॉलर आए.
कच्चे तेल की कीमत में कमी भी मददगार
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में कमी से विदेशी मुद्रा में भुगतान कम हो गया है. इससे भी विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा हुआ दिख रहा है और डॉलर की तुलना में रुपये में मजबूती आई है. विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने से इंपोर्ट बिल चुकाने के मामले में भारत और अच्छी स्थिति में दिख रहा है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि आर्थिक गतिविधियों के इस कमजोर दौर में विदेशी मुद्रा भंडार का मजबूत होना सरकार के लिए काफी मददगार साबित होगा क्योंकि इससे सरकार अपने आयात बिल को चुकाने में काफी आसानी होगी. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर 2019 से ही बढ़ना शुरू हो गया था.