FDI Investment: भारत में एफडीआई (FDI In India) के मोर्चे पर निराशा हाथ लगी है. इस साल के पहले 9 महीनों में देश में एफडीआई का आंकड़ा लगभग 22 फीसदी गिरा है. जनवरी से सितंबर के बीच यह आंकड़ा 48.98 अरब डॉलर रह गया है. हालांकि, अगले साल देश में एफडीआई के बढ़ने का अनुमान जताया गया है.  


देश में एफडीआई घटकर 48.98 अरब डॉलर रह गया


डीपीआईआईटी के सचिव राजेश कुमार सिंह ने बताया कि 2023 में जनवरी से सितंबर के दौरान देश में एफडीआई घटकर 48.98 अरब डॉलर रह गया है. एक साल पहले इसी अवधि में यह आंकड़ा 62.66 अरब अमेरिकी डॉलर था. हालांकि, उन्होंने बताया कि 2014 से 2023 के दौरान देश में 596 अरब डॉलर एफडीआई आया. यह जो 2005 से 2014 के बीच भारत को मिले एफडीआई से लगभग दोगुना है. 


भारत बना हुआ है एफडीआई के लिए पसंदीदा जगह 


उन्होंने बताया कि एफडीआई के 2024 में गति पकड़ने की संभावना है. भारत के बेहतर आर्थिक आंकड़े, औद्योगिक उत्पादन में तेजी और पीएलआई योजना के चलते अधिक संख्या में विदेशी कंपनियां भारत की ओर आकर्षित होंगी. राजेश कुमार सिंह ने कहा कि दुनिया के कई देशों में चल रही आर्थिक सुस्ती और ब्याज दरों में सख्ती के चलते भारत एफडीआई के लिए पसंदीदा निवेश स्थान बना हुआ है. सरकार लगातार एफडीआई नीति की समीक्षा करती है. साथ ही समय-समय पर जरूरत के हिसाब से इसमें बदलाव भी किया जाता है.


सिंगापुर, अमरीका और ब्रिटेन से आती है सबसे ज्यादा एफडीआई


उन्होंने कहा कि एफडीआई को लेकर चिंता करने की कोई बात नहीं है. मेडिसिन, फूड प्रोसेसिंग और मेडिकल इक्विपमेंट सेक्टर में प्रोडक्शन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं (PLI) के सकारात्मक नतीजे आ रहे हैं. इनमें से कई सेक्टर्स में एफडीआई बढ़ा है. उन्होंने कहा कि इस साल एफडीआई में गिरावट की एक वजह सिंगापुर, अमरीका और ब्रिटेन की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर में तेजी हो सकती है. इन देशों से भारत में सबसे ज्यादा एफडीआई आती है. 


अगले साल विदेशी निवेश में हो सकता है इजाफा 


सलाहकार फर्म डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि एफडीआई में कमी की वजह दुनिया में चल रहे आर्थिक और राजनीतिक संकट हैं. हालांकि जल्द ही यह तस्वीर बदलेगी और भारत में एफडीआई में इजाफा होगा. लीगल कंसल्टेंट फर्म इंडसलॉ के अनिंद्य घोष ने कहा कि भारत आर्थिक मंदी की मार झेलने वाला अकेला देश नहीं है. भारत में एफडीआई में आई कमी को लेकर चिंताएं हैं. मगर, आंकड़े बताते हैं कि अगले साल विदेशी निवेश में वृद्धि हो सकती है.


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