(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
FDI के मोर्चे पर लगा झटका, पिछले वित्त वर्ष में आई इतनी गिरावट, देखें RBI की रिपोर्ट
FDI Inflow: पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मोर्चे पर नुकसान उठाना पड़ा है, जबकि दूसरी ओर एफपीआई फिर से शुद्ध खरीदारी की राह पर लौटने लग गए हैं...
प्रतिकूल आर्थिक परिस्थितियों के बीच एफडीआई (FDI) के मोर्चे पर एक निराशाजनक खबर सामने आई है. पिछले वित्त वर्ष के दौरान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment) में ठीक-ठाक गिरावट देखने को मिली है. रिजर्व बैंक की एक ताजी रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है.
एफडीआई में इतनी गिरावट
रिजर्व बैंक के ताजे मासिक बुलेटिन में स्टेट ऑफ दी इकोनॉमी (State Of The Economy) नाम से छपे एक आर्टिकल में बताया गया है कि 31 मार्च 2023 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के दौरान ग्रॉस इनवार्ड एफडीआई (Gross Inward FDI) में 16 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है. वित्त वर्ष 2021-22 में एफडीआई का यह आंकड़ा 84.8 बिलियन डॉलर रहा था. यह वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 16.3 फीसदी कम होकर 71 बिलियन डॉलर रह गया.
इन कारणों से एफडीआई में कमी
आर्टिकल के अनुसार, इस दौरान नेट एफडीआई (Net FDI) में भी गिरावट आई है. वित्त वर्ष 2021-22 में नेट एफडीआई का आंकड़ा 38.6 बिलियन डॉलर रहा था, जो पिछले वित्त वर्ष में कम होकर 28 बिलियन डॉलर रह गया. आंकड़ों के अनुसार, जिन क्षेत्रों में एफडीआई में सबसे ज्यादा कमी आई है, उनमें विनिर्माण, कंप्यूटर सेवाएं और संचार सेवाएं शामिल हैं. इस दौरान अमेरिका, स्विट्जरलैंड और मॉरीशस से एफडीआई कम हुआ है.
बढ़ रही सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री
एफडीआई के ओवरऑल आंकड़े में गिरावट के बीच एक अच्छी खबर सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री (Semiconductor Industry) ने दी है. हालिया सालों के दौरान भारत में सरकार और प्राइवेट सेक्टर दोनों ने सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री पर खासा ध्यान दिया है. सरकार इस मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाना चाह रही है और प्राइवेट कंपनियों को प्रोत्साहन दे रही है. इसका फायदा होता दिख रहा है. रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में चिप यानी सेमीकंडक्टर की परियोजनाओं में भारी निवेश हो रहा है, जो भारत सरकार के प्रयासों के अनुकूल है.
सिर्फ अमेरिका से पीछे है भारत
सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में एफडीआई के मामले में भारत ने बड़ी छलांग लगाई है और पिछले साल सिर्फ अमेरिका से पीछे रहा है. अमेरिका की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में 33.8 बिलियन डॉलर एफडीआई के मुकाबले भारत को 26.2 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मिला है. वहीं चीन की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में एफडीआई गिरकर महज 0.5 बिलियन डॉलर रह गया है.
शुद्ध लिवाल बने एफपीआई
दूसरी ओर एफपीआई (FPI) के मोर्चे पर स्थिति सुधरी है. अप्रैल महीने के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investors) ने घरेलू बाजार में शुद्ध खरीदारी की. उन्होंने शुद्ध आधार पर इक्विटी में 1.9 बिलियन डॉलर और डेट में 0.2 बिलियन डॉलर डाले. एफपीआई लाने में वित्तीय सेवाएं, पूंजीगत वस्तुएं, तेल एवं गैस जैसे सेक्टर आगे हैं. अप्रैल का ट्रेंड मई में और रफ्तार पकड़ता दिख रहा है. मई महीने के दौरान 15 तारीख तक एफपीआई 2.2 बिलियन डॉलर की शुद्ध खरीदारी कर चुके हैं.
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