त्योहारी सीजन में डिमांड में आई बढ़ोतरी की वजह से अर्थव्यवस्था में बेहतरी की जो उम्मीद लगाई जा रही थी वह अब धूमिल होती दिख रही है. कई इंडिकेटर्स से इसकी पुष्टि हो रही है. नवंबर में ई-वे बिल जेनरेशन में कमी आई है. इसके साथ ही बिजली की डिमांड और रेलवे माल ढुलाई में भी कमी आई है. इससे पता चलता कि त्योहारी सीजन में मांग में जो हल्की बढ़त दर्ज हुई, वह अब गिरने लगी है और हालात पहले जैसी ही होने लगे हैं.
बिजली की मांग में कमी
जीएसटी के डेटा ट्रेंड से पता चलता है कि 22 नवंबर तक 4 करोड़ 7 लाख ई-वेल जेनरेट हुए थे जबकि अक्टूबर में इसकी तादाद 6 करोड़ 40 तक पहुंच गई थी. सितंबर मे ई-वे बिल 5 करोड़ 70 लाख तक पहुंच गए. 22 नवंबर तक बिजली की मांग घट कर 3,192 मिलियन यूनिट पर पहुंच गई थी. जबकि पिछले साल इस अवधि के दौरान बिजली की मांग यूनिट 3290 मिलियन यूनिट पर पहुंच गई थी. 21 नवंबर को खत्म हुई अवधि में पिछले साल की तुलना में रेलवे माल ढुलाई का वॉल्यूम 5 फीसदी घट गया था.
माल ढुलाई घटने से ई-वे बिल जनरेशन में गिरावट
अक्टूबर में हर दिन 20 लाख ई-वे बिल जेनरेट हो रहे थे जबकि नवंबर में यह घट कर 18 लाख रह गए.ई-वे बिल से पता चलता है कि माल ढुलाई कितनी हो रही है. यह आर्थिक गतिविधियों का एक अहम इंडिकेटर है. 50 हजार रुपये से अधिक के सामान के ट्रांसपोर्टेशन पर ई-वे बिल जेनरेट होता है. इंटर स्टेट और इंट्रा स्टेट ट्रांसपोर्टेशन के लिए ई-वे बिल जेनरेट होता है. दरअसल पीक फेस्टिवल सीजन और छुट्टियों की वजह से ई-वे बिल जेनरेशन में कमी आ सकती है. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि त्योहारी सीजन की वजह से बढ़ी मांग अब सपाट हो गई है.
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