आर्थिक संकट खत्म होने के आसार नहीं, 55 लाख लोगों ने निकाले पीएफ से पैसे 


अर्थव्यवस्था की खराब हालत की वजह से बढ़ी बेरोजगारी संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए मुसीबत साबित हो रही है. लॉकडाउन की वजह से वेतन कटौती, छंटनी और बिना वेतन के छुट्टी पर भेजे गए कर्मचारी अब प्रॉविडेंट फंड से पैसा निकाल रहे हैं. पिछले लगभग तीन सप्ताह से हर रोज एक लाख लोग अपने पीएफ से पैसा निकाल रहे हैं. नौकरियों में आ रही कमी और रोजगार पैदा होने की धीमी गति की वजह से कर्मचारियों की ओर से पीएफ निकालने की रफ्तार तेज हो गई है.

तीन सप्ताह में 20 लाख लोगों ने  निकाले पीएफ से पैसे 

मिंट में छपी एक खबर में कहा गया है कि ईपीएफओ के आंकड़ों के मुताबिक अब तक 55 लाख लोग ईपीएफ से पैसा निकाल चुके हैं. ईपीएफओ 55.80 लाख सब्सक्राइवर के 15 हजार करोड़ रुपये के दावे निपटा चुका है. 9 जून से 29 जून के बीच 20 लाख लोग पीएफ से पैसा निकाल चुके हैं. अप्रैल से जितने लोगों ने पैसे निकाले हैं, उनमें से से 60 फीसदी लोगों ने नॉन कोविड-19 विदड्रॉल सिस्टम के दायरे के बाहर हैं. इससे साफ पता चलता है कि आर्थिक हालात में सुधार नहीं हो रहा है और रोजगार पैदा नहीं हो रहे हैं.

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने करीब 8 करोड़ कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) खाताधारकों को अपनी जमा रकम की एडवांस निकासी की सुविधा दी है. ईपीएफओ ने इसके लिए ईपीएफ स्कीम-1952 में बदलाव करते हुए कहा था कि कर्मचारी अपने खाते में जमा रकम का 75 फीसदी या तीन महीने के वेतन के बराबर रकम निकाल सकते हैं. इस रकम का इस्तेमाल कर्मचारी अपनी जरूरतों के लिए कर सकते हैं और इसे फिर से जमा करने की जरूरत नहीं होगी.पीएफ निकासी के लिए सामान्य टैक्स नियम के मुताबिक तो पांच साल से पहले निकासी पर टैक्स कटता है, लेकिन ईपीएफओ ने हाल में एक स्पष्टीकरण जारी कर कहा कि चूंकि यह निकासी नहीं बल्कि एक एडवांस के तौर पर दिया जा रहा है. इसलिए इस पर टैक्स नहीं काटा जाएगा.