Voice of Global South Summit 2023: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने गुरुवार को वैश्विक स्तर पर कर्ज से जुड़ी असुरक्षा पर चिंता जाहिर की है. मंत्री सीतारमण ने कहा कि यह प्रणाली वैश्विक कर्ज संकट (Global Recession) का खतरा पैदा कर रही है, ऐसे में विकास के सामाजिक आयाम और बढ़ते वित्तीय अंतर के विषय पर बेहद ध्यान देने की जरूरत है, जिसका सामना दुनिया के कई देश कर रहे हैं. मालूम हो कि भारत दो दिवसीय (12-13 जनवरी 2023 के लिए) ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन (Voice of Global South Summit 2023) की मेजबानी कर रहा है. इस शिखर सम्मेलन में रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुईं खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा सहित कई वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर विकासशील देशों को अपनी चिंताएं साझा करने के लिए एक मंच प्रदान किया गया है.
वित्त मंत्री ने जताई चिंता
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शिखर सम्मेलन को डिजिटल माध्यम (Virtual Conference) से संबोधित करते हुए कहा कि भारत दशकों से विकास के पथ पर हमारे साथी रहे वैश्विक दक्षिण (Global South) के दृष्टिकोण को रखने को उत्सुक है. उन्होंने कहा कि कई दशकों से भारत अनुदान, लोन सुविधा, तकनीकी परामर्श, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) के माध्यम से अनेक क्षेत्रों में विकास में सहयोग के प्रयासों में सबसे आगे रहा है. उन्होंने कहा कि हमें ऐसे तंत्र तलाशना चाहिए, जिससे बहुस्तरीय विकास बैंकों की ओर से प्रदान किया जा रहा समर्थन देश की विशिष्ठ जरूरतों के अनुरूप और अनुपूरक हो.
वैश्विक स्तर पर कर्ज बढ़ा
मंत्री सीतारमण ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कर्ज से जुड़ी असुरक्षा की स्थिति बढ़ रही है और प्रणालीगत वैश्विक कर्ज संकट का खतरा पैदा कर रही है. उन्होंने कहा कि यह बाह्य कर्ज की अदायगी और खाद्य और ईंधन जैसी आवश्यक घरेलू जरूरतों को पूरा करने के बीच फंसी अर्थव्यवस्थाओं से स्पष्ट होती है. वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसे में विकास के सामाजिक आयाम और बढ़ते वित्तीय अंतर के विषय पर ध्यान देने की जरूरत है जिसका सामना कई देश टिकाऊ विकास लक्ष्यों (SDG) को हासिल करने में कर रहे हैं.
विकास सहयोग परियोजनाएं बनीं आदर्श
मंत्री सीतारमण ने कहा कि हमारी विकास सहयोग परियोजनाएं वैश्विक दक्षिण के अन्य देशों के साथ ज्ञान साझा करने और क्षमता निर्माण के लिये आदर्श बन रही हैं. वित्त मंत्री सीतारमण ने इस शिखर सम्मेलन में ‘‘लोक केंद्रित विकास का वित्त पोषण’ सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही. इस सत्र में मुख्य रूप से यह चर्चा हो रही है कि विकास का वित्त-पोषण कैसे किया जाए, कैसे कर्ज के जाल से बचें और अपनी विकास सहायता का ढांचा किस प्रकार से तैयार करें और वित्तीय समावेश कैसे सुनिश्चित करें.
पीएम ने जताई चिंता
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए खाद्य, ईंधन और उर्वरकों की बढ़ती कीमतों, कोविड-19 वैश्विक महामारी के आर्थिक प्रभावों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न प्राकृतिक आपदाओं पर भी चिंता व्यक्त की है.
दो दिवसीय शिखर सम्मेलन
भारत 12-13 जनवरी को दो दिवसीय ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. इस सम्मेलन में यूक्रेन संघर्ष के कारण उत्पन्न खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा सहित कई वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर विकासशील देशों को अपनी चिंताएं साझा की जा रही है. ‘ग्लोबल साउथ’ व्यापक रूप से एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के विकासशील देशों और उभरती अर्थव्यवस्थाओं को कहा जाता है.
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