सरकार का पीपीएफ एक्ट को खत्म करने का प्रस्तावः आम लोगों को लगेगा झटका
सरकार की पीपीएफ खातों में अहम बदलाव की तैयारी है जिससे आम लोगों के लिए शायद चिंता की वजह हो सकती है.
नई दिल्लीः सरकार की पीपीएफ खातों में अहम बदलाव की तैयारी है जिससे आम लोगों के लिए शायद चिंता की वजह हो सकती है. वित्त मंत्री अरुण जेटली वित्तीय वर्ष 2018-19 में पेश किए गए बजट प्रस्ताव में प्रोविडेंट फंड अधिनियम को खत्म करने जा रहे हैं. फाइनेंस बिल 2018 को ध्यान से देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि बिल में पब्लिक प्रॉविडेंट फंड एक्ट 1968 को खत्म करने का प्रावधान किया गया है. इसका पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ) पर बड़ा असर देखा जा सकता है.
सरकार का वित्त विधेयक 2018 में पीपीएफ अधिनियम 1968 को खत्म किए जाने का प्रस्ताव है और इन अधिनियमों से जुड़ी बचत योजनाओं को गवर्नमेंट सेविंग्स बैंक एक्ट-1873 में शामिल करने का प्रस्ताव है. इसके लिए इस एक्ट में नए प्रावधानों को शामिल किया जाएगा. हालांकि इसके संसद में पास होने के बाद ही प्रोविडेंट फंड एक्स 1968 को खत्म किया जाएगा, बिल के संसद में पास होने के बाद ही ये एक्ट खत्म माना जाएगा.
जानिए क्या होगा नए बिल में
- वित्त विधेयक में पीपीएफ एक्ट को समाप्त करने के प्रावधान से पहले जिन्होंने इन बचत योजनाओं में निवेश किया हुआ है उन लोगों को कोई परेशानी नहीं आएगी.
- दूसरी सभी स्मॉल सेविंग्स स्कीमों की तरह पीपीएफ भी गवर्नमेंट सेविंग्स बैंक्स एक्ट 1873 के दायरे में आ जाएगा.
- सभी नए निवेश गवर्नमेंट सेविंग्स बैंक एक्ट के तहत आ जाएंगे जिसके बाद अगर पीपीएफ एकाउंट होल्डर की उधारी या उसकी दूसरी देनदारियों समय पर नहीं चुकाई जाती हैं तो इसको खत्म करने के लिए उसमें जमा रकम को अदालत के आदेश पर जब्त किया जा सकेगा. अब जब पीपीएफ एक्ट ही खत्म किया जा रहा है तो पुराना प्रोविजन पीपीएफ पर लागू नहीं होगा जिसके तहत पहले पीपीएफ को कोर्ट अटैचमेंट से बाहर रखा गया है. इसके तहत पीपीएफ एकाउंट में जमा रकम उसके धारक के ऊपर चढ़े किसी कर्ज या उसकी दूसरी देनदारियों को उतारने के लिए कोर्ट ऑर्डर पर जब्त नहीं किए जा सकते हैं.
- हालांकि उन लोगों पर असर नहीं पड़ेगा जिन्होंने फाइनेंस एक्ट 2018 के लागू होने से पहले पीपीएफ में निवेश किया हुआ है.
- पीपीएफ अधिनियम के खत्म होने से पीपीएफ, किसान विकास पत्र, पोस्ट ऑफिस सेविंग बैंक खाता, नेशनल सेविंग मंथली इनकम, नेशनल सेविंग आरडी अकाउंट, सुकन्या समृद्धि खाता, नेशनल सेविंग टाइम डिपॉजिट (1,2,3 और 5 साल), सीनियर सिटीजंस सेविंग योजना और एनएससी भी बचत खाते में तब्दील हो जाएंगी. हालांकि फाइनेंस बिल 2018 में यह साफ किया गया है कि पीपीएफ एक्ट खत्म होने से इन स्कीमों की बनावट में कोई बदलाव नहीं होगा.
साफ है कि फाइनेंस बिल में नए प्रावधान आने से निवेशकों के लिए पीपीएफ जैसी बचत योजनाएं पहले जैसी फायदेमंद नहीं रह जाएंगी खासतौर पर उन लोगों के लिए जो इसमें नया निवेश करने वाले हैं.