Money Laundering: क्लाइंट के वित्तीय लेन-देन हैंडल करने वाले चार्टर्ड अकाउंटेड और कंपनी सेक्रेटरीज आए PMLA कानून के दायरे में
Finance Ministry: माना जा रहा है कि कालेधन पर लगाम लगाने के मकसद से सरकार ने ये फैसला किया है.
PMLA: अपने क्लाइंट्स के लिए लेन-देन करने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट, कंपनी सेक्रेटरीज और कॉस्ट अकाउंटेंट पर सरकार ने शिकंजा कस दिया है. नए नियम के तहत चार्टर्ड अकाउंटेंट, कंपनी सेक्रेटरीज और कॉस्ट अकाउंटेंट को अब अपने ग्राहकों की तरफ से कुछ खास तरह के वित्तीय लेनदेन पर पीएमएलए (Prevention of Money Laundering Act) कानून के तहत जवाबदेही तय किया जा सकता है.
वित्त मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है जिसके मुताबिक सीए, सीएस और कॉस्ट अकाउंटेंट को पांच तरह के वित्तीय लेनदेन के लिए पीएमएलए के दायरे में रखने की बात कही गई है. इसके मुताबिक अपने ग्राहकों की तरफ से बैंक खातों का प्रबंधन और उनकी संपत्तियों की खरीद-बिक्री पर पीएमएलए कानून के दायरे में उनकी भूमिका को परखा जाएगा.
नोटिफिकेशन के मुताबिक, अचल संपत्ति की खरीद और बिक्री के अलावा ग्राहकों के पैसे, प्रतिभूतियों या अन्य संपत्तियों के प्रबंधन, बैंक, बचत या सिक्योरिटीज खातों के प्रबंधन, कंपनियों के निर्माण, परिचालन या प्रबंधन के लिए अंशदान की देखरेख और कंपनियों, एलएलपी या ट्रस्ट के गठन, परिचालन या प्रबंधन के साथ कारोबारी इकाइयों की खरीद और बिक्री से संबंधित वित्तीय लेनदेन पीएमएलए के दायरे में रखे गए हैं. इस अधिसूचना के मुताबिक चार्टर्ड अकाउंटेंट अपने ग्राहकों के साथ खुद भी पीएमएलए अधिनियम, 2002 के तहत सजा एवं जुर्माने के लिए समान रूप से उत्तरदायी होंगे.
अगर पीएमएलए कानून के प्रावधान लागू होते हैं तो ग्राहक एवं चार्टर्ड अकाउंटेंट दोनों ही समान रूप से जिम्मेदार होंगे. चार्टर्ड अकाउंटेंट को अगर लगता है कि किसी लेनदेन में पीएमएलए (Prevention of Money Laundering Act) कानून के प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है तो अब वह रेग्यूलेटर्स को इसकी जानकारी दे सकता है.
चार्टर्ड अकाउंटेंट की संस्था आईसीएआई ने एक बयान में कहा कि इस अधिसूचना के बाद चार्टर्ड अकाउंटेंट अब खास तरह के लेनदेन की जानकारी देने वाले सोर्स बन गए हैं. लेकिन इस भूमिका के लिए उन्हें सभी लेनदेन से जुड़े ग्राहकों का केवाईसी रखने के अलावा पूरा रिकॉर्ड भी रखना होगा.
सरकार कालेधन पर लगाम लगाने के लिए पीएमएलए प्रावधानों को लगातार सख्त बनाने में जुटी है. मार्च में भी वित्त मंत्रालय ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए अनिवार्य कर दिया था कि वे राजनीतिक रूप से जुड़े लोगों के वित्तीय लेनदेन का ब्योरा रखें.
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