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Household Savings: बचत के 50 साल के निचले लेवल पर आने के बाद वित्त मंत्रालय की सफाई, कहा - 'दूसरे फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स में लोग कर रहे निवेश'

Finance Ministry: वित्त मंत्रालय का तर्क है कि लोग बचत को तरजीह देने से ज्यादा अब दूसरे फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स में निवेश कर रहे हैं साथ ही घर और व्हीकल खरीद रहे हैं.

Household Savings: सितंबर महीने के लिए जारी आरबीआई की मंथली बुलेटिन में हाउसहोल्ड एसेट और लायबिलिटीज (RBI data on Household Assets and Liabilities) पर रिपोर्ट जारी की गई जिसके मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23  लोगों की बचत घटकर 50 साल के निचले लेवल 5.1 फीसदी पर आ गई है. इसे लेकर विपक्ष ने सरकार पर निशाना भी साधा है. लेकिन अब इस मामले को लेकर वित्त मंत्रालय की तरफ से सफाई सामने आई है. वित्त मंत्रालय ने कहा कि लोगों की बचत में कमी नहीं आई है बल्कि उनके निवेश को लेकर नजरिया बदला है. अब लोग बचत के लिए म्यूचुअल फंड्स और स्टॉक मार्केट जैसे अलग अलग फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स में अपनी बचत को निवेश कर रहे हैं. मंत्रालय ने कहा कि बचत में गिरावट का कोई संकट नहीं है.  

बचत घटने पर वित्त मंत्रालय की सफाई 

वित्त मंत्रालय ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से एक्स (X) से पोस्ट कर हाउसहोल्ड सेविंग की तस्वीर पेश की है. मंत्रालय ने कहा कि, जून 2020 से लेकर मार्च 2023 के दौरान सकल घरेलू फाइनेंशियल एसेट्स का स्टॉक (Stock of Household Gross Financial Assets )  37.6 फीसदी बढ़ा है जबकि सकल घरेलू फाइनेंशियल देनदारियों के स्टॉक (Stock of Household Gross Financial Liabilities ) में 42.6% की बढ़ोतरी आई है और दोनों के बीच कोई बड़ा अंतर नहीं है. 

फाइनेंशियल एसेट्स में बढ़ा निवेश

वित्त मंत्रालय के मुताबिक 2020-21 वित्त वर्ष में हाउसहोल्ड ने 22.8 लाख करोड़ रुपये का फाइनेंशियल एसेट्स जोड़ा है जबकि 2021-22 में ये 17 लाख करोड़ रुपये और 2022-23 में 13.8 लाख करोड़ रुपये जोड़ा गया है. इस वित्त वर्ष में पिछले वर्ष के मुकाबले कम फाइनेंशियल एसेट्स पोर्टफोलियो में जोड़ा गया है लेकिन ये समझना जरुरी है कि नेट फाइनेंशियल एसेट्स में निवेश में बढ़ोतरी जारी है. वित्त मंत्रालय के मुताबिक हाउसहोल्ड ने फाइनेंशियल एसेट्स में पहले के मुकाबले इसलिए कम निवेश किया क्योंकि अब लोगों ने लोन लेकर घर जैसे रियल एसेट्स को खरीदना शुरू कर दिया है.  

होम लोन व्हीकल लोन की बढ़ी डिमांड 

वित्त मंत्रालय के मुताबिक पर्सलन लोन को लेकर आरबीआई डेटा इसके सबूत पेश कर रहा है. बैंकों द्वारा दिए जाने वाले पर्सलन लोन में सबसे प्रमुख होम लोन और व्हीकल लोन है. ये दोनों प्रकार के लोन की बैंकिंग सेक्टर के कुल पर्सलन लोन में 62 फीसदी हिस्सेदारी है. इसके बाद दूसरे पर्सलन लोन और क्रोडिट कार्ड लोन की बारी आती है. मंत्रालय के मुताबिक मई 2021 के बाद से हाउसिंग लोन की डिमांड में डबल डिजिट की ग्रोथ देखने को मिली है. अप्रैल 2022 के बाद से व्हीकल लोन में डबल डिजिट ग्रोथ देखने को मिल रहा है और सितंबर 2022 में 20 फीसदी का ग्रोथ है. 

बचत में नहीं आई कमी 

वित्त मंत्रालय ने इस डेटा के हवाले से कहा कि परिवारों के बचत में कोई कमी नहीं आई है. लोग ज्यादा घर और गाड़ियां कर्ज लेकर खरीद रहे हैं. इसलिए, घरेलू बचत/नॉमिनल जीडीपी वित्त वर्ष 2021-22 में 20.3 फीसदी से लेकर 19.7 फीसदी के करीब स्थिर बनी हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक 2021-22 में एनबीएफसी ने केवल 21400 करोड़ रुपये के कर्ज दिए जबकि 2022-23 में 2.40 लाख करोड़ रुपये के कर्ज बांटे यानि 11.2 गुना का उछाल देखने को मिला है. एनबीएफसी का बकाया रिटेल लोन 2021-22 में 8.12 लाख करोड़ रुपये था जो 2022-23 में29.6 फीसदी के ग्रोथ के साथ बढ़कर 10.5 लाख करोड़ रुपये हो गया है. एनबीएफसी के रिटेल लोन में व्हीकल रिटेल लोन और दूसरे रिटेल लोन का योगदान है.  

आरबीआई और सरकार का अलग रूख!

वित्त मंत्रालय की ओर से सरकार की आलोचनाओं के बाद सफाई आई है. लेकिन आरबीआई का ही रिपोर्ट कहता है कि भारत के नागरिकों पर कर्ज का बोझ तेजी से बढ़ा है. अपने खपत को पूरा करने लिए वे ज्यादा उधार ले रहे हैं. जिसमें सबसे बड़ा योगदान महंगाई का रहा है. 

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