Income Tax Rules: टैक्सपेयर्स के बीच नई इनकम टैक्स व्यवस्था को लोकप्रिय बनाने के लिए सरकार कर सकती नियमों में बदलाव!
New Income Tax Regime Update: वित्त मंत्री ने जो प्री-बजट मीटिंग की है उसमें भी इनकम टैक्स नियमों को युक्तिसंगत बनाने से लेकर टैक्स घटाने की मांग की गई है.
New Income Tax Regime: इनकम टैक्स की नई व्यवस्था (New Tax Regime) की टैक्सपेयर्स के बीच स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए इसके नियमों में बड़े बदलाव करने पर सरकार विचार कर रही है. वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव के पद से रिटायर होने जा रहे तरुण बजाज ने इस बात के संकेत दिए हैं. माना जा रहा है कि इनकम टैक्स की नई व्यवस्था (New Income Tax Regime) में शर्तों के साथ कुछ टैक्स छूट दी जा सकती है. जिससे टैक्सपेयर्स इस विकल्प को चुन सकें.
नई टैक्स व्यवस्था से टैक्सपेयर्स की बेरुखी
तरुण बजाज ने कहा कि नए इनकम टैक्स रिजिम में 2.5 लाख रुपये तक के सलाना आय वालों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है लेकिन पुराने टैक्स रिजिम में 7.5 लाख रुपये तक कमाई करने वाले टैक्स देने से बच जाते हैं. ज्यादातर लोग इसी कैटगरी में आते हैं और इसलिए नए इनकम टैक्स रिजिम का चुनाव करने के लिए इंसेटिव नहीं है. इनकम टैक्स की नई व्यवस्था में भले ही टैक्स दरें कम हो लेकिन होम लोन के मूलधन या ब्याज या बचत पर टैक्स छूट के अलावा स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ नहीं मिलने के चलते टैक्सपेयर्स को नई व्यवस्था लुभा नहीं पा रही है. 2021-22 एसेसमेंट ईयर में 5 फीसदी से भी कम टैक्सपेयर्स ने इनकम टैक्स की नई व्यवस्था के तहत इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल किया था. ऐसे में नई व्यवस्था को आकर्षक बनाने पर सरकार विचार कर रही है. नए टैक्स स्लैब व्यवस्था के मुताबिक यदि कोई टैक्सपेयर्स टैक्स छूट या डिडक्शन का लाभ नहीं लेना चाहता है वो इस नए टैक्स स्लैब व्यवस्था विकल्प को चून सकता है.
निवेश पर टैक्स छूट का लाभ
इनकम टैक्स स्लैब की पुराने रिजिम में टैक्सपेयर्स को कई प्रकार के टैक्स छूट का लाभ ले लकता है. इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी के तहत बीमा ईएलएसएस( ELSS), प्राविडेंट फंड, पीपीएफ ( PPF) और बच्चों के ट्यूशन फीस के साथ होमलोन के मूलधन पर टैक्स छूट का लाभ ले सकते है. 2 लाख रुपये तक होमलोन के ब्याज पर भी टैक्स छूट का प्रावधान है. 50,000 रुपये के स्टैडर्ड डिडक्शन ( Standard Deduction) का भी लाभ मिलता है जो नए टैक्स रिजिम में नहीं है.
कैपिटल गेन टैक्स के नियमों में बदलाव!
तरुण बजाज के मुताबिक लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स के नियमों में भी बदलाव के संकेत दिए हैं. माना जा रहा है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स के नियमों में बदलाव करने को लेकर बड़ा एलान कर सकती हैं. इक्विटी निवेशकों पर 12 महीने की होल्डिंग पीरियड के बाद कैपिटल गेन पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है. एक साल से कम अवधि के कैपिटल गेन पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स का नियम लागू होता है. अगर प्रॉपर्टी बेचा जाता है या फिर अनलिस्टेड शेयर को बेचने पर 2 साल के बाद लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है. ज्वैलरी और डेट फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स के लिए 3 साल बाद 20 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स का नियम लागू होता है. बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को युक्तिसंगत बनाने पर जोर दिया जा सकता है साथ ही इंडेक्सेशन का फायदा देने के लिए बेस ईयर में भी बदलाव संभव है.
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