(महेश शुक्ला)


कर्ज से लेकर फाइनेंस के नए ऑनलाइन तरीकों के साथ देश में फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी यानी फिनटेक सेक्टर का तेजी से विस्तार हुआ है. कर्ज की बढ़ती मांग, स्मार्टफोन एवं इंटरनेट की बढ़ती पहुंच, सरकार के प्रयासों तथा तकनीकी प्रगति के चलते ऑनलाइन फाइनेंशियल इंस्ट्रुमेंट की मांग बढ़ी है. इन कारणों ने फिनटेक सेक्टर को भी बढ़ावा दिया है. हालांकि उसके साथ ही फिनटेक सेक्टर के सामने नई-नई चुनौतियां भी आई हैं.


अत्याधुनिक तकनीकों का हो रहा इस्तेमाल


फाइनेंशियल सेक्टर की बात करें तो लाखों भारतीयों के पास आज औपचारिक, किफायती क्रेडिट एवं डिजिटल ऋण की सुविधाएं उपलब्ध हैं. इसके चलते देश आज पहले से कहीं अधिक वित्तीय समावेशी और सशक्त बन गया है. विभिन्न आधुनिक तकनीकों जैसे डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल डिजिटल फाइनेंसिंग में किया जाता है, जो अलग-अलग प्रकार के ग्राहकों को सस्ते व उनकी व्यक्तिगत जरूरत के अनुकूल क्रेडिट समाधान उपलब्ध कराने में कारगर हैं.


पिछले साल आरबीआई ने बनाए नियम


चूंकि सेक्टर का विस्तार तेजी से हो रहा है तो इसमें ग्राहकों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि कर्ज देने वाले संगठन और उनके अधिकारी इंटरनेट फाइनेंस से जुड़ी दिक्कतों और जोखिमों को दूर करें. इसके लिए उपभोक्ताओं की सुरक्षा, अनुपालन और डिजिटल ऋण की डायनामिक प्रकृति पर ध्यान देना जरूरी है. फिनटेक फर्मों को नियंत्रित करने के लिए आरबीआई ने 2022 में डिजिटल ऋण पर विस्तृत विनियम जारी किया था, जिसका मुख उद्देश्य कर्ज लेने वाले लोगों को गलत तरीकों से बचाना और बाजार में पारदर्शिता व उत्तरदायित्व को बेहतर बनाना था.


साइबर सुरक्षा बना प्रमुख मुद्दा


हाल ही के दिनों में डेटा की गोपनीयता और साइबर सुरक्षा मुख्य मुद्दे बन गए हैं, ऐसे में फिनटेक सेक्टर के प्लेयर्स के लिए जरूरी है कि वे विनियामक अनुपालन और उपभोक्ताओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करें. सेंट्रल बैंक ने डिजिटल ऋण लेने वालों के लिए स्पष्ट मानक तय किए हैं, ताकि ऋण प्रक्रिया को पारदर्शी व नैतिक बनाया जा सके और उपभोक्ताओं की शिकायतों को हल करने के लिए प्रभावी संरचना का निर्माण हो सके. इसके अलावा क्लाइंट डेटा को जुटाकर डिजिटल फाइनेंस में प्रोसेस करना जरूरी है. डेटा सुरक्षा के लिए प्रभावी उपाय अपनाकर, कानूनों का अनुपालन कर फिनटेक कपंनियों को डेटा गोपनीयता एवं सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए. उपभोक्ताओं की जानकारी को एनक्रिप्शन, एक्सेस लिमिट और नियमित सिक्योरिटी ऑडिट के द्वारा सुरक्षित करना चाहिए.


सख्त नियमों से हो सकते हैं ये खतरे


विनियम और निर्देश-संसाधनों के आवंटन, अनुपालन की लागत और इनोवेशन की क्षमता के संदर्भ में फिनटेक कारोबार पर असर डालते हैं. रेगुलेशंस डिजिटल ऋण प्लेटफॉर्म्स की कार्यप्रणाली और विस्तार को प्रभावित कर सकते हैं, हालांकि वे उपभोक्ताओं के हितों को सुरक्षित रखने और फाइनेंशियल सिस्टम की स्थिरता को बनाए रखने के लिए जरूरी हैं. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि नियमों के माध्यम से उपभोक्ताओं को अत्यधिक ब्याज दरों और अनुचित ऋण प्रथाओं से सुरक्षित रखा जाए. हालांकि नियमों के ज्यादा सख्त होने से लोगों के कर्ज की उपलब्धता सीमित होने का खतरा रहता है.


इस कारण नियमों में सख्ती जरूरी


हालांकि यह याद रखना जरूरी है कि सख्त नियमों से ही अनुचित प्रथाओं पर लगाम लगाया जा सकता है. इससे ही ऋण सेवा प्रदाताओं और डिजिटल ऋण ऐप की पारदर्शिता व उत्तरदायित्व को बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा विनियामक प्राधिकरणों द्वारा तय किए गए नियम फाइनेंशियल सिस्टम को स्थिर बनाते हैं. ये नियम ऑनलाइन ऋणदाताओं की मॉनिटरिंग एवं निरीक्षण द्वारा सुनिश्चित करते हैं कि उनका संचालन नैतिक व सुरक्षित तरीके से हो.


ऐसे संतुलन साधने से होगा काम


फाइनेंशियल सिस्टम को गतिशील व जिम्मेदार बनाने के लिए नियमों और फिनटेक इनोवेशन के बीच तालमेल बनाना जरूरी है. उचित विनियमन के लिए यह जरूरी है कि विनियामक फिनटेक तकनीकों के जोखिम को समझें. इसके लिए विनियामकों, फिनटेक कंपनियों, पारम्परिक वित्तीय संस्थानों, कंज्यूमर एडवोकेसी संस्थानों और अन्य संबंधित पक्षों को एक साथ मिलकर काम करना होगा. इस विषय पर खुली एवं नियमित चर्चा को बढ़ावा देना होगा, साथ ही तय करना होगा कि विनियामक नई तकनीकों और बिजनेस मॉडल्स को लेकर अपडेट रहें. तभी पूरे सिस्टम में उचित तालमेल को सुनिश्चित किया जा सकता है.


डिस्क्लेमर: लेखक महेश शुक्ला पेमी के सीईओ एवं फाउंडर हैं. इस लेख में व्यक्त सारे विचार उनके निजी हैं. उनसे ABPLive.com की कोई सहमति नहीं है.


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