जीवन के सबसे अहम फैसलों में से एक होता है अपना घर खरीदना. खासकर शहरों में लोग घर खरीदने की योजनाएं बनाते हैं, क्योंकि वहां जमीन की अनुपलब्धता से घर बनाना आसान नहीं होता है. ऐसे में लोग किसी बनी-बनाई सोसायटी या बिल्डिंग में फ्लैट/अपार्टमेंट खरीदना पसंद करते हैं. वहीं कई लोगों को फ्लैट या अपार्टमेंट पसंद नहीं आते हैं, तो वे इंडीपेंडेंट घर खरीदने का विकल्प देखते हैं.


भावनात्मक भी और आर्थिक भी


सबसे पहले ये जान लीजिए कि घर खरीदना हर किसी के लिए भावनात्मक फैसला होता है. यह लोगों को भावनात्मक तौर पर सुरक्षा का एहसास देता है. इसके अलावा यह भी ध्यान रखना चाहिए कि घर खरीदना आर्थिक लिहाज से बड़ा फैसला होता है. हर किसी के लिए एक से ज्यादा घर खरीदना या बनाना संभव नहीं होता है. ऐसे में जब पहली बार घर खरीद रहे हों तो कई तरह की बातों का ख्याल रखना जरूरी हो जाता है.


सबसे जरूरी है सही लोकेशन


घर खरीदने में सबसे महत्वपूर्ण है लोकेशन. सही लोकेशन में घर न खरीदना बड़ी गलती साबित हो सकती है. आप जहां घर खरीद रहे हैं अगर वहां बसावट कम है, पब्लिक ट्रांसपोर्ट की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, स्कूल-अस्पताल जैसी सुविधाएं नहीं हैं, तो ऐसी जगह पर सस्ते के चक्कर में घर मत खरीदें, क्योंकि इससे आपका ट्रांसपोर्ट का खर्च बढ़ेगा और टाइम भी बर्बाद होगा. साथ ही, प्रॉपर्टी की कीमत भी नहीं बढ़ेगी. घर ऐसी जगह लें, जहां डेवलपमेंट के चांस ज्यादा हों. घर लेने से पहले लोकेशन को अच्छे से परख लें.


लोन के बारे में ये करें तैयारियां


आमतौर पर, घर की कीमत का 10 से 20 फीसदी डाउन पेमेंट करना होता है. बाकी का पैसा बैंक फाइनेंस करते हैं. घर बनवाने के लिए भी होम लोन ले सकते हैं. होम लोन के लिए बैंक से प्री-अप्रूवल लेना अच्छा रहता है. बैंक, आपकी लोन चुकाने की क्षमता का आकलन करके बताते हैं कि आपको कितना लोन मिल सकता है. इससे आप अपने बजट में घर ढूंढ पाते हैं. साथ ही, डाउन पेमेंट का भी अंदाजा हो जाता है. अगर आप चार-छह बैंक या NBFC से बात करेंगे तो आपको लोन के लिए बेहतर डील मिल सकती है.


इन खर्चों का कर लें पहले प्रबंध


घर खरीदने में कई तरह के अन्य खर्च भी होते हैं. जैसे रजिस्ट्री, मेंटनेंस या अन्य चार्जेज. इन सभी के बारे में पहले से पता कर लें. लोन के अतिरिक्त जो खर्च होना है, उसका इंतजाम कर लें. कई लोग डाउनपेमेंट व अन्य खर्चों के लिए पर्सनल लोन ले लेते हैं, जो उन्हें कर्ज के जाल में धकेल देता है. इससे बचें. घर खरीदने में हड़बड़ी करने से बचें. पहले बाकी पैसों का इंतजाम कर लें, फिर घर खरीदने की तैयारी करें.


बिल्डर/डीलर पर न करें अंधा भरोसा


बिल्डर या प्रॉपर्टी डीलर पर आंख बंद कर भरोसा नहीं करें. लाखों ऐसे लोग हैं, जिन्होंने आज से कई साल पहले घर या फ्लैट बुक किया था. उन्हें आज भी अपने घर का पजेशन नहीं मिल पाया है. ऐसे में वे एक तरफ कर्ज की किस्तें भर रहे हैं तो दूसरी ओर वे किराया भी दे रहे हैं. ऐसे में लोगों की वित्तीय स्थिति डंवाडोल हो जाती है. इस कारण बिल्डर या प्रॉपर्टी डीलर की बातों पर भरोसा करने से बेहतर है कि आप खुद से खोज-परख करें.


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