नई दिल्लीः इलाहाबाद से बैंगलुरू, पटना, रायपुर, और कोलकाता समेत 13 शहरों के लिए उड़ान शुरु होगी वहीं बिहार के दरभंगा से दिल्ली, मुंबई और बंगलुरू से उड़ान मुहैया कराने की योजना है. यही नहीं पहली बार करगिल भी व्यावसायिक हवाई सम्पर्क के मानचित्र पर आ जाएगा. ये सब उड़े देश का हर नागरिक यानी उड़ान योजना के दूसरे चरण का हिस्सा है जिसके तहत 15 एयरलाइन कंपनियां 325 रास्तों पर उड़ान मुहैया कराएंगी.


उड़ान योजना के तहत एक घंटे या 500 किलोमीटर की उड़ान के लिए एक तरफ का किराया करीब ढ़ाई हजार रुपये रखा गया है. विमान पर इस किराये के साथ कम से कम 9 और ज्यादा से ज्यादा 40 सीटें मुहैया करानी होगी जबकि बाकी सीटों के लिए किराया बाजार परिस्थितियों के मुताबिक तय होती है. दूसरी ओर 13 सीटों तक की क्षमता वाले हेलिकॉप्टर पर सभी सीटें रियायती किराये पर उपलब्ध करानी होगी. रियायती किराये और बाजार किराये के बीच का अंतर सरकार मुहैया कराती है. उड़ान योजना के पहले चरण में अभी तक 16 हवाई अड्डों मसलन आगरा, भटिंडा, ग्वालियर, कडप्पा, नांदेड, पोरबंदर, बीकानेर वगैरह से उड़ानें शुरु की जा चुकी है.


उड़ान योजना के दूसरे चरण में उत्तराखंड में 15 जगहों से उड़ान शुरु करने का प्रस्ताव है जबकि उत्तर प्रदेश में ये संख्या नौ है. हिमाचल प्रदेश में छह, राजस्थान में 4, गुजरात में तीन और बिहार में एक जगह से उड़ान की योजना बनायी गयी. वहीं पूर्वोत्तर राज्यों में अरुणाचल प्रदेश के 8, असम के 5, मणिपुर के 5 और सिक्कम में एक जगह से उड़ान शुरु की जानी है. सभी उड़ानों पर कुल मिलाकर 620 करोड़ रुपये की मदद का प्रावधान है. सरकार का मानना है ज्यादा से ज्यादा जगहों से उड़ानें शुरु होने के बाद हवाई यात्रियों की संख्या 2018 में 12 से 13 करोड़ के बीच पहुंच जाने का अनुमान है जबकि 2017 में ये सख्या 11.7 करोड़ रही.


एयरलाइन कंपनियों की बात करें तो सबसे ज्यादा नयी उड़ानें (20) इंडिगो शुरु करेगी जबकि स्पाइसजेट के नाम ये 17 है. जेट एयरवेज 4 उड़ानें मुहैया कराएंगी. इन तमाम कंपनियों के पास बड़े विमान ही नहीं, छोटे विमान भी है, जिससे किसी भी छोटे शहर को बड़े शहर से जोड़ने में आसानी होगी. जानकारों का कहना है कि दूसरे देशों के मुकाबले यहां हवाई यात्रियों की संख्या काफी कम है, लेकिन संभावनाएं काफी ज्यादा. इसी को देखते हुए उड़ान की कामयाबी की संभावनाएं काफी ज्यादा है. उड़ान के जरिए छोटे शहरों व छोटे शहरों के बीच और छोटे शहरों व बड़े शहरों के बीच की दूरी कम करने की कोशिश है.