Vande Bharat Train in North East: भारतीय रेलवे लगातार देश के अलग-अलग रूट पर वंदे भारत ट्रेन की शुरुआत करने की कोशिश कर रहा है. कई राज्यों के प्रमुख शहरों को वंदे भारत ट्रेन से जोड़ा जा चुका है. अब इसमें सेवन सिस्टर्स के नाम से मशहूर पूर्वोत्तरी राज्यों का नाम भी जुड़ने वाला है. जल्द ही इन राज्यों को वंदे भारत ट्रेन का तोहफा मिलने वाला है. रेलवे बोर्ड ने चेन्नई के इंटिग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) को पूर्व उत्तर राज्यों के लिए वंदे भारत ट्रेन को कोच के निर्माण को जल्द से जल्द पूरा करने का आदेश दिया है.
किस रूट पर चलेगी ट्रेन
गौरतलब है कि अब तक पूरे देश में कुल 15 रूट पर वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई जा चुकी है. पूर्व उत्तर राज्य में 16वीं वंदे भारत ट्रेन चलेगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक 14 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे. यह ट्रेन असम के गुवाहाटी से न्यू जलपाईगुड़ी के बीच दौड़ेगी. इस ट्रेन में कुल 16 कोच होंगे. इस ट्रेन की अधिकतम स्कीम 110 किलोमीटर प्रति घंटे की होगी. पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने इस रूट पर नई वंदे भारत के उद्घाटन की तैयारी भी शुरू कर दी है.
वंदे भारत ट्रेन से NFR जोन को मिलेगा फायदा-
पूर्वोत्तर राज्यों में वंदे भारत ट्रेन की शुरुआत के बाद से इस क्षेत्र वित्तीय गतिविधि में तेजी आएगी. इसके साथ ही पूर्वोत्तर राज्यों में टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा. इससे लोगों के समय की बचत होती और यह असम और बाकी राज्यों के लिए लाभकारी रहेगा. फिलहाल पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने इस वंदे भारत ट्रेन के रूट की पूरी जानकारी साझा नहीं की है, लेकिन जल्द ही बताया जाएगा कि यह ट्रेन किन राज्यों और स्टेशनों से होकर गुजरेगी. ध्यान देने वाली बात ये है कि गुवाहाटी से न्यू जलपाईगुड़ी वंदे भारत ट्रेन के साथ ही हावड़ा-पुरी, न्यू जलपाईगुड़ी-गुवाहाटी और पटना-रांची वंदे भारत ट्रेन का भी जल्द ही उद्घाटन का प्लान बनाया जा रहा है.
वंदे भारत ट्रेन में मिलती है कई सुविधाएं
वंदे भारत ट्रेन 100 फीसदी भारतीय तकनीक से बनी हुई है. इस ट्रेन की खास बात ये है कि यह 180 किलोमीटर प्रतिघंटे की स्पीड से दौड़ सकती है. इस ट्रेन में कुल दो क्लास होते हैं. एक चेयर कार और दूसरा एग्जीक्यूटिव क्लास. यह ट्रेन 100 फीसदी वातानुकूलित है और इसमें ऑटोमैकिट दरवाजे लगे हुए हैं. यह ट्रेन 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की स्पीड केवल 30 सेकेंड में पकड़ लेती है. इसमें ट्रेन में दुर्घटना से बचने के लिए कवच तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.
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