कोरोना संक्रमण की वजह से बंद हुई आर्थिक गतिविधियों की वजह से सरकार की कमाई कम हो गई है. इस वजह से राजकोषीय घाटा लगातार बढ़ रहा है. दरअसल सरकार को अब अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है. इस हिसाब से उसके पास संसाधन नहीं आ रहे हैं. यही वजह है कि राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण रखना मुश्किल हो रहा है.


राजकोषीय घाटा 12 लाख करोड़ रुपये के पार


पीटीआई की एक खबर के मुताबिक चालू वित्त वर्ष ( 2020-21) जनवरी के अंत तक केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा 12.34 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया. यह संशोधित बजट आकल का लगभग 66.8 फीसदी है. पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में जनवरी के अंत तक राजकोषीय घाटा संशोधित आकलन के 128.5 फीसदी के बराबर पहुंच गया था. शुक्रवार को कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स (सीजीए) ने यह आंकड़ा जारी किया. सीजीए की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के अंत 31 मार्च 2021 तक राजकोषीय घाटा जीडीपी के 9.5 फीसदी यानी करीब 18.48 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. सीजीए के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में जनवरी के अंत तक राजकोषीय घाटा 12,34,004 करोड़ रुपये का रहा.


कोरोना की वजह से लॉकडाउन ने बिगाड़ा खेल


पिछले साल कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश भर में लॉकडाउन लगा था. इसके चलते आर्थिक और कारोबारी गतिविधियों पर बड़ा असर पड़ा. इस वजह से सरकार का राजस्व घट गया. चालू वित्त वर्ष के लिए खर्च और राजस्व के बीच का फर्क या राजकोषीय घाटे का जो सालाना लक्ष्य निर्धारित किया गया था, वह पिछले साल जुलाई 2020 में ही पार हो गया था. सरकार को जनवरी 2021 तक 12.83 लाख करोड़ रुपये हासिल हुए जो संशोधित आकलन का करीब 80 फीसदी है. इसमें 11.01 लाख करोड़ का टैक्स रेवेन्यू है.


2020-21 में संशोधित आकलन का 82 फीसदी टैक्स रेवेन्यू कलेक्शन हुआ जबकि पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में समान अवधि में रिवाइज्ड एस्टीमेट का 66.3 फीसदी टैक्स रेवेव्यू कलेक्शन हुआ था. नॉन-टैक्स रेवेन्यू की बात करें तो यह संशोधित आकलन के 67 फीसदी के बराबर रहा जबकि पिछले वित्त वर्ष में समान अवधि में यह आंकड़ा 73 फीसदी था. सीजीए डेटा के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में जनवरी 2021 तक कुल खर्च 25.17 लाख करोड़ रहा जो संशोधन आकलन का 73 फीसदी है. पिछले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 84.1 फीसदी था.


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