India's Fiscal Deficit: अप्रैल से जुलाई के बीच सरकार को हुआ 3.41 लाख करोड़ रुपये का वित्तीय घाटा
Govt Data: मई, 2022 में सरकार ने पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती की है तो फर्टिलाइजर सब्सिडी बढ़ाया है जिससे वित्तीय घाटा बढ़ा है.
India's Fiscal Deficit: वित्त वर्ष 2022-23 के पहले चार महीने अप्रैल से जुलाई के दौरान वित्तीय घाटा (Fiscal Deficit) 3.41 लाख करोड़ रुपये रहा है जो मौजूदा वित्त वर्ष के कुल लक्ष्य को 20.5 फीसदी है. कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स ने ये आंकड़े जारी किए हैं.
जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 2022-23 के पहले चार महीने अप्रैल से जुलाई के बीच सरकार को 7.86 लाख करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ है. वहीं कुल खर्च 11.27 लाख करोड़ रुपये रहा है. इसमें रेवेन्यू रिसिप्ट 7.56 लाख करोड़ रुपये रहा है जिसमें टैक्स रेवेन्यू की हिस्सेदारी 6.66 लाख करोड़ रुपये है तो नॉन-टैक्स रेवेन्यू की हिस्सेदारी 895.83 अरब रुपये है.
पहली तिमाही अप्रैल से जून के बीच वित्तीय घाटा 3.52 लाख करोड़ रुपये रहा था जबकि 2021-22 की पहली तिमाही में वित्तीय घाटा 2.74 लाख करोड़ रुपये रहा था. उस हिसाब से देखा जाये तो बीते साल के मुकाबले इस वर्ष की पहली तिमाही में वित्तीय घाटा 28.3 फीसदी ज्यादा रहा था. सरकार ने 2022-23 के लिए 16.61 लाख करोड़ रुपये वित्तीय घाटा का लक्ष्य रखा हुआ है.
सरकार के वित्तीय घाटे में बढ़ोतरी की बड़ी वजह महंगाई पर नकेल कसने के लिए सरकार द्वारा उठाये गए कदम हैं. 21 मई 2022 को सरकार ने पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने का फैसला लिया तो सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए फर्टिलाइजर सब्सिडी भी बढ़ाने का निर्णय लिया था इसके अलावा प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के लाभार्थियों को मुफ्त रिफिलिंग देने की घोषणा की थी. इसके अलावा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त अनाज देने की मियाद को 30 सितंबर 2022 तक के लिए बढ़ा दिया गया था. इन फैसलों का असर सरकार के राजस्व पर पड़ा है जिसके चलते वित्तीय घाटा बढ़ा है. एक अनुमान के मुताबिक 2022-23 में एक्साइज ड्यूटी कटौती से 80,000 करोड़ रुपये के राजस्व पर असर पड़ सकता है.
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