लगातार 12 वें साल भारत को निराशा, फिच ने नहीं बढ़ायी भारत की रेटिंग
‘बीबीबी माइनस‘ निवेश के लिहाज से आखिरी रेटिंग है. इसके बाद अगर रेटिंग गिर जाती है तो विदेशी निवेशकों को लिए जोखिम बढ़ जाता है और वो निवेश करने से कतराते हैं.
नई दिल्लीः अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत की रेटिंग को ‘बीबीबी माइनस‘ पर बरकरार रखा है. साथ ही इस रेटिंग को आगे देखने का नजरिया स्थिर रखा है. ये लगातार 12 वां साल है जब फिच ने भारत की रेटिंग में कोई बदलाव नहीं किया, हालांकि सरकार सुधार के लिए लगातार कोशिश में लगी थी?
‘बीबीबी माइनस‘ निवेश के लिहाज से आखिरी रेटिंग है. इसके बाद अगर रेटिंग गिर जाती है तो विदेशी निवेशकों को लिए जोखिम बढ़ जाता है और वो निवेश करने से कतराते हैं. फिच ने जहां रेटिंग में कोई बदलाव नहीं किया, वहीं दूसरी रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की रेटिंग को 14 सालों के बाद एक पायदान ऊपर कर दिया था. एक और रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने भारत की रेटिंग में कोई बदलाव नहीं किया.
फिच की ओर से रेटिंग को मौजूदा स्तर पर बनाए रखने की एक बड़ी वजह सरकारी खजाने की सेहत है. वित्त वर्ष 2018-19 का आम बजट पेश करने के समय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकारी खजाने के घाटे यानि फिस्कल डेफिसिट के लक्ष्य में 30 बेसिस प्वाइंट्स (100 बेसिस प्वाइंट्स मतलब एक फीसदी) की बढ़ोतरी की बात कही. इसके मुताबिक, जहां 2017-18 के लिए डेफिसिट का लक्ष्य 3.2 फीसदी से बढ़ाकर 3.5 फीसदी कर दिया गया, वहीं 2018-19 के लिए लक्ष्य 3 फीसदी के बजाए 3.3 फीसदी कर दिया. वैसे सरकार ने इस बढ़त के लिए वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी से पूरे साल के बजाए 8 महीने की कमाई को वजह बताया, लेकिन लगता है कि लक्ष्य में बढ़ोतरी की बात रेटिंग एजेंसी के गले नहीं उतरी.
रेटिंग एजेंसी ने अपने आंकलन में कुछ और कमियों की ओर इशारा किया है. मसलन, World Bank governance indicator के मामले में भारत की स्थिति कमजोर है. यही नहीं संयुक्त राष्ट्र के Human Development Index पर भी भारत पीछे है. ये सबूत है कि देश मानव विकास के मूलभूत पैमाने पर अभी भी पीछे है.
वैसे फिच ने कई अच्छी बातें भी कही है. मसलन, विकास को लेकर एजेंसी का नजरिया उत्साह बढ़ाने वाला है. वैसे तो 31 मार्च को खत्म हुए कारोबारी साल 2017-18 के दौरान भारत की विकास दर 7.1 फीसदी से घटकर 6.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया, लेकिन एजेंसी को लगता है कि चालू कारोबारी साल में ये दर 7.3 फीसदी और अगले कारोबारी साल 7.5 फीसदी के करीब रहेगी. खास बात ये है कि पांच सालों की औसत विकास दर 7.1 फीसदी है जो बीबीबी रेटिंग वाले तमाम दूसरे देशों में सबसे ऊंची है.
एजेंसी ने महंगाई दर को लक्ष्य के मुताबिक रखे जाने के लिए रिजर्व बैंक की तारीफ की है. एजेंसी के मुताबिक, केंद्रीय बैंक ने मजबूत मौद्रिक नीति का पालन किया है. ध्यान रहे कि वैसे तो खुदरा महंगाई दर को दो से छह फीसदी के बीच रखने का इरादा है, लेकिन आम तौर पर लक्ष्य चार फीसदी माना जाता है. एजेंसी को लगता है कि चालू कारोबारी साल में औसत खुदरा महंगाई दर 4.9 फीसदी रह सकती है.
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