मूडीज के बाद अब फिच रेटिंग्स ने भी भारत की सॉवरेन रेटिंग्स घटा दी है. एजेंसी ने भारत की रेटिंग स्थिर से निगेटिव कर दी है. एजेंसी ने भारत की कमजोर ग्रोथ संभावना और चीन से विवाद की वजह से आने वाली दिक्कतों को देखते हुए रेटिंग घटाई है.एजेंसी का कहना है कि कमजोर ग्रोथ की वजह से इकनॉमी पर सार्वजनिक कर्ज का बोझ बढ़ जाएगा.
रेटिंग एजेंसी ने भारत की रेटिंग स्थिर से निगेटिव किया है लेकिन BBB- रेटिंग बरकरार रखी है. यह निवेश की सबसे निचली रेटिंग है. फिच ने कहा है कि लॉकडाउन की वजह से भारत की जीडीपी में पांच फीसदी की गिरावट आएगी. रेटिंग एजेंसी के मुताबिक कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से भारत का इस साल का ग्रोथ आउटलुक काफी कमजोर हो गया है.
'चीन से तनाव ने बढ़ाया जियो-पॉलिटिकल रिस्क'
फिच ने कोरोनावायरस संक्रमण से पहले भारत में छह से सात फीसदी की विकास दर का अनुमान लगाया था. रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि भारत छह से सात फीसदी विकास दर पर लौट पाता है या नहीं यह देखना होगा. यह काफी कुछ कोरोनावायरस संक्रमण को काबू करने की इसकी क्षमताओं पर निर्भर करेगा. यह इस बात पर निर्भर करेगा कि देश के वित्तीय सेक्टर में इसका असर कब तक रहता है.
फिच ने चीन के साथ भारत के टकराव के बाद इसके जियो-पॉलिटिकल जोखिम का जिक्र किया है. हालांकि सरकार ने इससे पहले मूडीज और दो अन्य रेटिंग एजेंसियों के आकलन से असहमति जताते हुए कहा था कि भारत बेहतर रेटिंग का हकदार है. मूडीज की ओर से रेटिंग घटाने के बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार के. सुब्रमण्यम ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है और यह अपने कर्जे चुकाने में पूरी तरह सक्षम है. मोदी सरकार ने कोरोना संकट से निपटने लिए मजबूत कदम उठाए हैं. अर्थव्यवस्था पर इसका सकारात्मक असर पड़ेगा.