दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका (US Economy) के सामने इन दिनों अभूतपूर्व संकट उत्पन्न हो गया है. दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था इतिहास में पहली बार डिफॉल्ट (US Default) करने की कगार पर खड़ा है. इस बीच क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स (Fitch Ratings) ने अमेरिका के लिए खतरे की नई घंटी बजा दी है. एजेंसी ने संकेत दिया है कि वह आने वाले दिनों में अमेरिका की रेटिंग को कम कर सकती है.


रेटिंग के डाउनग्रेड की आशंका


अभी फिच ने अमेरिका को एएए रेटिंग दिया हुआ है, जो उसकी सबसे अच्छी रेटिंग है. हालांकि एजेंसी ने अब अमेरिका की लॉन्ग-टर्म फॉरेन-करेंसी इश्युअर डिफॉल्ट रेटिंग को निगेटिव वॉच लिस्ट में डाल दिया है. फिच रेटिंग्स के इस कदम को इस बात का साफ इशारा समझा जा रहा है कि अगर अमेरिकी संसद ने समय रहते ट्रेजरी के कर्ज लेने की सीमा को नहीं बढ़ाया, तो रेटिंग को डाउनग्रेड किया जा सकता है.


डिफॉल्ट से मिलेगा ये संकेत


आपको बता दें कि अभी अमेरिका के सामने खजाना खत्म होने का खतर मंडरा रहा है. अगर अभी कोई उपाय नहीं किया गया तो अगले सप्ताह अमेरिकी खजाना खाली हो सकता है और अगर ऐसा हुआ तो फिच के द्वारा अमेरिका की रेटिंग घटा दी जाएगी. एजेंसी का कहना है कि अगर कर्ज लेने की सीमा को नहीं बढ़ाया गया तो इससे संकेत जाएगा कि अमेरिका समय से अपनी देनदारियों को चुकाने में इच्छुक नहीं है, जिसका रेटिंग पर बुरा असर पड़ेगा.


ट्रेजरी के उपाय काफी नहीं


हालांकि फिच ने इस बात की उम्मीद जाहिर की है कि अमेरिकी खजाने के पूरी तरह से खाली होने से पहले ही उधार लेने की सीमा बढ़ाने का कोई न कोई उपाय कर लिया जाएगा. फिच ने रिपोर्ट में कहा है कि अमेरिका 19 जनवरी 2023 को 31.4 ट्रिलियन डॉलर की कर्ज सीमा पर पहुंच गया था और ट्रेजरी ने ऊपरी सीमा को पार करने से बचने के लिए अभूतपूर्व उपाय की शुरुआत कर दी थी. हालांकि ट्रेजरी के ये उपाय भी नाकाफी साबित हो सकते हैं. ट्रेजरी के उपाय का 1 जून 2023 तक पूरी तरह से दोहन हो जाएगा.


सीनेट और हाउस से उम्मीद


एजेंसी ने कहा है कि ट्रेजरी के पास 23 मई तक कैश बैलेंस 76.5 बिलियन डॉलर रह गया था. वहीं दूसरी ओर 1-2 जून तक ठीक-ठाक बड़ा पेमेंट करना है. ऐसे में एक्स-डेट यानी खजाने के पूरी तरह से खाली हो जाने की तारीख अब ज्यादा दूर नहीं है. अमेरिकी सीनेट और हाउस में अभी तक उधार लेने की सीमा को बढ़ाने पर सहमति नहीं बन पाई है. आने वाले दिनों के घटनाक्रम पूरी तरह से सीनेट और हाउस के कदमों पर निर्भर करेंगे.


डिफॉल्ट का होगा बुरा असर


रही बात अमेरिका के द्वारा देनदारियों के भुगतान में चूक करने यानी डिफॉल्ट करने की, तो इसके बुरे परिणामों को लेकर कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां आगाह कर चुकी हैं. दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के द्वारा देनदारियों को चुकाने में डिफॉल्ट करने का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर काफी नकारात्मक असर पड़ सकता है, जो पहले से ही आर्थिक मंदी की दहलीज पर खड़ी है.


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